शरीर एक पर्याय है और आत्मा एक द्रव्य है: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

शरीर एक पर्याय है और आत्मा एक द्रव्य है: आचार्यश्री महाश्रमण

तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के तत्वावधान में मेधावी छात्रा सम्मान समारोह का आयोजन

2 सितम्बर, 2023 नन्दनवन-मुम्बई
शान्तिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवती सूत्र पर मंगलदेशना प्रदान करते हुए फरमाया कि प्रश्न उपस्थित किया गया कि परमाणु पुद्गल शाश्वत है या अशाश्वत है? हमारी दुनिया में जीव है तो अजीव भी है। अजीवों में अमूर्त्त अजीव भी है तो मूर्त्त अजीव भी है। विभाजन जीव-अजीव के आधार पर किया जा सकता है, तो दुनिया के तत्वों का विभाजन मूर्त्त-अमूर्त्त के आधार पर भी किया जा सकता है।
छः द्रव्य बताये गये हैं, उनमें मूर्त्त द्रव्य एक ही है। वह है- पुद्गलास्तिकाय। इसके चार प्रकार स्कन्ध, देश, प्रदेश और परमाणु है। जैन दर्शन में पदार्थों को शाश्वत माना गया है और उन्हीं पदार्थों को अशाश्वत भी कहा गया है। जैन दर्शन में जो नित्य है, वह अनित्य नहीं है और जो अनित्य है, वह मिला नहीं है, ऐसा अलगाव नहीं किया गया है। वहां तो नित्यता-अनित्यता का गुण एक ही पदार्थ में बताया गया है।
पदार्थ परिणामी नित्य होता है, वह मिलता भी है और परिवर्तनशील भी है। जैसे आदमी जन्मा तब छोटा था। बाद में धीरे-धीरे बढ़ते-बढ़ते कितना बड़ा हो गया। आदमी तो वही है, अवस्था का परिवर्तन हो गया है। यह नित्यानित्यवाद जैन दर्शन का सिद्धान्त है। परमाणु पुद्गल किसी दृष्टि से शाश्वत है तो अन्य दृष्टि से अशाश्वत भी है वह स्याद्वाद है। द्रव्यार्थ-द्रव्य की दृष्टि से परमाणु-पुद्गल शाश्वत है। दुनिया में एक भी परमाणु न तो नया पैदा होता है, न एक परमाणु विनाश को प्राप्त होता है। अनन्तकाल से आत्माएं उतनी की उतनी ही है। न नया जीव और पैदा होता है, न एक भी जीव नष्ट होता है।
पर्यायों की दृष्टि से परमाणु पुद्गल अशाश्वत है। वर्ण, गंध, रस ये आंतरिक परिवर्तन हो सकते हैं। स्याद्वाद सापेक्ष दृष्टि से प्रतिपादन करने वाला है। आत्मा शाश्वत है पर पर्याय परिवर्तन हो जाता है। शरीर एक पर्याय है और आत्मा एक द्रव्य है। दीपक अनित्य है पर उसके परमाणु पुद्गल नित्य है।
पूज्यवर ने कालूयशोविलास की विवेचना कराते हुए पूज्य कालूगणी के अस्वस्थता की सूचना से आस-पास के सिंघाड़े पूज्यश्री के दर्शन करने आ रहे हैं, उस प्रसंग को समझाया।
मुनि विजयकुमारजी की जीवन कथा ‘परम पथ का पथिक’ जो जैन विश्व भारती द्वारा प्रकाशित है, कृति गुरुदेव को लोकार्पित की। पूज्यवर ने मुनि विजय कुमारजी के बारे में उद्गार व्यक्त करते हुए फरमाया कि वे धर्मसंघ की सेवा करते हुए स्वयं की साधना करते हुए परम पथ की ओर आगे बढ़े। मंगलकामना है। तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम का मेधावी छात्र सम्मान समारोह पूज्यवर की सन्निधि में आयोजित हुआ। पूज्यवर ने मंगल आशीर्वचन फरमाया।
तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि रजनीश कुमारजी ने प्रेरणाऐं प्रदान करवायी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सिनेमा जगत के कलाकार उत्कर्ष शर्मा ने भी अपनी भावना अभिव्यक्त की।
टीपीएफ कार्यक्रम का संचालन डॉ0 वन्दना डांगी ने किया। उत्कर्ष का सम्मान किया गया।