बच्चों को जीरो से हीरो बनाने का माध्यम है ज्ञाानशाला
राजनगर
राजनगर ज्ञानशाला ने ज्ञानशाला दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया। भिक्षु निलियम परिसर में साध्वी परमयशाजी के सान्निध्य में, रितु धोका ज्ञानशाला प्रकोष्ठ समिति सदस्य के मुख्य आतिथ्य में ख्यालीलाल चपलोत अध्यक्ष भिक्षु बोधि स्थल की अध्यक्षता एवं अन्य पदाधिकारी गण की उपस्थिति में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीवृंद परिवार के नमस्कार महामंत्र एवं ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं के तुलसी अष्टम् के मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम में डॉ0 परमयशा ने अपने उद्बोधन में कहा संस्कार किसी मॉल में नहीं मिलते, अपितु ज्ञानशाला के माहौल में मिलते हैं। बच्चे देश का भविष्य है, संघ का गौरव है, परिवार की गरिमा है। बालक भगवान के देवदूत हैं। संस्कार निर्माण की पहली यूनिट है परिवार, दूसरी यूनिट है-ज्ञानशाला। जहां बच्चे जीरो से हीरो बन सकते हैं। मन के मालिक बन सकते हैं। बच्चों को संस्कारी बनाना देश के संचालन से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
गुड टू बेस्ट का संकल्प है ज्ञानशाला, ज्ञानशाला एक दौलत है एक खजाना है। इस खजाने को पाने के लिए जो बच्चे आते हैं वह सुपर रिच बन जाते हैं। ज्ञानशाला एक मंगल कलश है, एक चार्जर है, एक कल्पवृक्ष है। जैसा संकल्प वैसा निर्माण संभव है। बच्चे अपनी भावना से प्रोफेसर, प्रधानमंत्री, परमात्मा बन सकते हैं। बच्चों की माताओं के लिए कहते हुए बताया कि मां एक टीचर, एक गार्जन, एक डाइटिशियन बनकर बच्चो को संस्कार देती है। जिस घर के बच्चे संस्कारी है, वह घर माता का आभारी है।
तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा सुधा कोठारी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए ज्ञानशाला के कार्यक्रमों की प्रस्तुति को सराहते हुए एवं बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी।
ज्ञानशाला संयोजिका संगीता कोठारी ने सभी आमंत्रित अतिथियों एवं उपस्थित धर्म सभा का स्वागत किया। कार्यक्रम के समापन में ज्ञानशाला के सभी बच्चों और प्रशिक्षिकाओं को ज्ञानशाला के विशेष सहयोगी पारस परमार बोरज की ओर से पारितोषिक उपवास स्वरूप दिए गए। कार्यक्रम का कुशल संचालन उषा कावड़िया ने किया एवं अंत में कार्यक्रम समापन पर आभार सीमा मंडोत ने ज्ञापित किया।