
मासखमण तप अभिनंदन समारोह
सिलीगुड़ी
प्रेम पाण्डे के मासखमण की तपस्या का तप अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए मुनि प्रशांतकुमारजी ने कहा- तपस्या करना सबको बड़ा कठिन लगता है लेकिन प्रारंभ करने के बाद कर्मों का क्षयोपशम, गुरु कृपा से सानन्द सम्पन्न हो जाती है। आधि, व्याधि और उपाधि सब दूर हो जाती है। तपस्या का अपना प्रभाव होता है। गुरु कृपा की टॉनिक से इन्होंने मासखमण तप सम्पन्न किया है। अपने आत्मबल परिवार के सहयोग से इनकी तपस्या पूर्ण हुई है।
मुनि कुमुदकुमारजी ने कहा- जैन धर्म में साधना का महत्व है। विविध रूपों में साधना कर आत्मा परमात्मा बनती है। तीर्थंकर, साधु- साध्वी, श्रावक- श्राविकाओं ने त्याग साधना कर अपने कर्मों को क्षय किया है। तपस्वी साधकों ने जिनशासन की प्रभावना की है।
तेरापंथी सभा अध्यक्ष रुपचंद कोठारी, तेरापंथ युवक परिषद् अध्यक्ष नरेश धाडे़वा, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा संगीता घोषल, अणुव्रत समिति अध्यक्षा डिम्पल बोथरा, टीपीएफ सहमंत्री सुनील जैन, जयप्रकाश पाण्डे, बरड़िया परिवार की बहिनों ने गीत एवं व्यक्तव्य के द्वारा तपस्वी के तप की अनुमोदना की। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी एवं मुनि कमलकुमारजी के संदेश का वाचन सुरेन्द्र छाजेड़ ने किया। तेरापंथी सभा, युवक परिषद्, महिला मंडल, अणुव्रत समिति, टीपीएफ ने तपस्वी का सम्मान किया।
मासूम बरडिया ने आठ का प्रत्याख्यान किया। 16 श्रावक - श्राविकाओं ने तपस्या करने का संकल्प व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि कुमुदकुमारजी एवं सभा मंत्री मदन संचेती ने किया।