पखवाड़ा तप अभिनंदन

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पखवाड़ा तप अभिनंदन

कानपुर
साध्वी संगीतश्रीजी के पावन सान्निध्य में तपस्विनी बहन सुधा बच्चा के 15 दिन (पखवाड़े) की तपस्या के अभिनंदन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्रीजी के महामंत्रोचार से हुआ। तेरापंथ महिला मंडल की बहिनों ने मंगलाचरण की प्रस्तुति दी। तेरापंथी सभा अध्यक्ष धनराज सुराणा, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष दिलीप मालू एवं पूनमचंद सुराणा ने तपस्वी की अनुमोदना स्वरूप अपने विचार और गीतिका प्रस्तुत की। तपस्वी सुधा बुच्चा के परिवार की ओर से राजकुमार बुच्चा तथा शालिनी बुच्चा ने अपने विचार रखे। तपस्विनी बहिन की सहेलियों ने मधुर गीतिका का संगान किया। तेयुप के युवाओं ने एक सामूहिक गीतिका की प्रस्तुति दी।
साध्वी संगीतश्रीजी ने अपने वक्तव्य में तपस्या के महत्व को उजाकर करते हुए फरमाया कि जैन धर्म की संस्कृति त्याग और तप की संस्कृति है। हम सभी बहुत भाग्यशाली हैं कि हमें आचार्यश्री महाश्रमणजी जैसे महातपस्वी आचार्य मिले हैं। गुरु दृष्टि प्राप्त दृढ़ शक्ति वाले व्यक्ति ही तपस्या कर सकते हैं। साध्वी मुदिताश्रीजी ने फरमाया कि रस इंद्रियों पर विजय पाना बहुत ही कठिन काम है। साध्वी कमलविभाजी ने तपस्वी बहन सुधा के नाम का अर्थ अमृत बताते हुए फरमाया कि साधु ने तपस्या रूपी अमृत कानपुर में फैला दिया है। तप के द्वारा व्यक्ति अपने कर्मों का क्षय कर आत्मा को निर्मल बनाता है। साध्वी शांतिप्रभाजी ने अपने वक्तव्य में फरमाया कि जिस प्रकार सौंदर्य प्रसाधनों से बाहर की त्वचा को सुंदर बनाया जा सकता है, उसी तरह आत्म उत्थान के लिए तप बहुत आवश्यक है। साध्वीवृंद ने तपस्या के भावों से ओत-प्रोत स्वरचित गीतिका का संगान कर उपस्थित श्रावकों को भाव विभोर कर दिया।
परिवार के सदस्यों ने साध्वीश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए बताया कि साध्वीश्री के श्रम और प्रेरणा से ही कानपुर में दो पखवाड़ों के साथ अन्य तपस्याओं का अच्छा क्रम चल रहा है। तपस्विनी बहिन को सम्मान स्वरूप तेरापंथी सभा द्वारा प्रशस्ति पत्र और साहित्य प्रदान किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा मंत्री संदीप जम्मड़ ने किया। तपस्विनी बहिन ने साध्वीश्री से पखवाड़़े के दिन के तप का प्रत्याख्यान किया।