सम्यक् दर्शन कार्यशाला

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सम्यक् दर्शन कार्यशाला

पर्वत पाटिया
साध्वी हिमश्रीजी के सान्निध्य में तेरापंथ युवक परिषद् द्वारा सम्यक् दर्शन कार्यशाला आयोजित हुई। उपस्थित श्रद्धालु श्रावक समुदाय को संबोधित करते हुए साध्वी हिमश्रीजी ने कहा- प्रत्येक व्यक्ति आध्यात्मिकता के क्षेत्र में विकास कर सकता है। शिखर पर पहुंच सकता है। प्रत्येक आत्मा परमात्मा बन सकती है। परमात्मा बनने का मार्ग सरल नहीं है। इस सुदीर्घ सफर का यात्री बनने हेतु सर्वप्रथम सम्यक दर्शन की प्राप्ति करना जरूरी है। सम्यकदर्शी बने बिना भव भवांतर के संचित कर्मों का नाश करना संभव नहीं है। सम्यक दर्शन का सीधा-सादा अर्थ है- सकारात्मक दृष्टिकोण। सम्यक दर्शन का मतलब है सत्य का स्वीकरण। कौनसा व्यक्ति सम्यकदर्शी है और कौनसा व्यक्ति नहीं है, यह हम निश्चित रूप से तो नहीं कह सकते लेकिन जो देव, गुरु और केवली भाषित धर्म पर, तीर्थंकरों की वाणी पर अटूट श्रद्धा रखता है, उसे सम्यकदर्शी कहा जा सकता है। जो धर्म को धर्म, मार्ग को मार्ग, जीव को जीव, साधु को साधु और मुक्त को मुक्त मानता है, वह सम्यकदर्शी हो सकता है। जो धर्म को अधर्म, मार्ग को कुमार्ग और असाधु को साधु मानता है, वह सम्यकदर्शी नहीं हो सकता। साध्वी मुक्तियशाजी ने पच्चीस बोल प्रतियोगिता का परिणाम घोषित किया। साध्वी चैतन्ययशाजी ने प्राग उद्बोधन दिया।