‘शासनमाता’ साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी के समाधि स्थल ‘वात्सल्य पीठ’ का शिलान्यास

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‘शासनमाता’ साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी के समाधि स्थल ‘वात्सल्य पीठ’ का शिलान्यास

दिल्ली
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शासनमाता साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी के समाधि स्थल का नामकरण ‘वात्सल्य पीठ’ बख्साया था। वात्सल्य पीठ के शिलान्यास का कार्यक्रम दो चरणों में आयोजित हुआ। पहले चरण में साध्वी डॉ0 कुन्दनरेखाजी के सान्निध्य में जप का कार्यक्रम समाधि स्थल पर हुआ। तत्पश्चात जैन संस्कारकों द्वारा मंत्रोच्चारण किया गया। उसके पश्चात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक आदरणीय मोहन भागवतजी द्वारा शिलान्यास किया गया।  
कार्यक्रम का द्वितीय चरण तेरापंथ भवन परिसर स्थित ‘महाप्रज्ञ सभागार’ में साध्वी डॉ0 कुन्दनरेखाजी के सान्निध्य में हुआ। सरसंघचालक मोहन भागवतजी ने साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी की दिवंगत आत्मा को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए कहा कि साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी वात्सल्य की प्रतिमूर्ति थी। उनके स्मरण मात्र से वात्सल्य की अनुभूति होती है। उसी अनुरूप यह ‘वात्सल्य पीठ’ सभी को प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने कहा कि साध्वी प्रमुखाश्रीजी को आचार्यश्री तुलसी के समय से अभी तक का लम्बा अनुभव था। वो उत्कृष्ट, कुशल प्रशासक थी। उनमें ज्ञान की समृद्धि के साथ ही कार्य को मूर्त रूप देने की अनुपम कला थी। उनका स्मरण हम प्रतिदिन करते रहें तथा उनके गुणों को जीवन में उतारने का प्रयास करें। मैं स्वयं भी सामर्थ्यनुसार प्रयत्न करूंगा।
डॉ0 साध्वी कुन्दनरेखाजी ने फरमाया कि उनका स्मरण मां की ममता, वात्सल्य की स्मृति कराता है। उनका हर पल मंगल था। वो गुरु की विनीत शिष्या थी। उन्होंने विनम्रभाव से इतना पाया कि महासागर बन गयी। पचास वर्षों के लम्बेकाल में तीन-तीन गुरुओं का वरदहस्त पाया। उन्होंने संघ में सैंकड़ों साध्वियों को तरासकर तथा प्रतिबोध देकर तैयार किया। साध्वीश्रीजी ने आगे फरमाया कि जैन तेरापंथ धर्मसंघ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में अनुशासन की दृष्टि से विशेष समानता है। दोनों में ही अनुशासन प्रधान है। आज इस शिलान्यास के कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवतजी पधारे हैं। वो स्वयं अनुशासन के पुरोधा हैं।
राज्यसभा सांसद लहरसिंह सिरोया ने कहा कि मुझे समय-समय पर जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्यप्रवर के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इस धर्मसंघ के आचार्यों ने जैन दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने का भागीरथी कार्य किया है। उन्होंने शासनमाता को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि ‘वात्सल्य पीठ’ जो बनने जा रहा है, वो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने कहा कि यह दिल्लीवासियों का सौभाग्य है कि उन्हें ऐसा अवसर प्राप्त हो रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी के दर्शन करने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने शासनमाता को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर कल्याण परिषद् के संयोजक के. सी. जैन, संस्था शिरोमणि महासभा अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया, प्रधान न्यासी सुरेश गोयल, महासभा महामंत्री विनोद बैद, भगवान महावीर मेमोरियल के अध्यक्ष एवं दिल्ली धर्मसंघ के वरिष्ठ सुश्रावक के. एल. जैन, जैन विश्व भारती एवं शासनमाता के संसारपक्षीय बैद परिवार के सदस्य प्रमोद बैद, अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल अध्यक्षा नीलम सेठिया, अणुव्रत विश्व भारती संगठन मंत्री कुसुम लूणिया, जय तुलसी फाउंडेशन के बजरंग सेठिया, दिल्ली तेयुप अध्यक्ष विकास चौरड़िया, दिल्ली तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा मंजू जैन, टीटीएफ के राजेश जैन एवं पुखराज सेठिया ने अभिव्यक्ति दी तथा श्रद्धा सुमन अर्पित किए। 
दिल्ली तेरापंथी सभाध्यक्ष सुखराज सेठिया ने स्वागत भाषण किया। ‘वात्सल्य पीठ’ के समन्वयक लक्ष्मीपत बोथरा ने ‘वात्सल्य पीठ’ के आगामी  निर्माण संबंधित जानकारी दी। दिल्ली तेरापंथी सभा के सदस्यों द्वारा गीत की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा, दिल्ली के महामंत्री प्रमोद घोड़ावत ने एवं आभार ज्ञापन इस कार्यक्रम के संयोजक व तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष प्रदीप संचेती ने किया। 
इस कार्यक्रम में केन्द्रीय संस्थाओं, स्थानीय संस्थाओं के पदाधिकारीगण तथा गणमान्य व्यक्तियों सहित श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति थी।