तप अभिनंदन समारोह के विभिन्न आयोजन

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तप अभिनंदन समारोह के विभिन्न आयोजन

राजलदेसर
शासनश्री साध्वी मानकुमारीजी के पावन सान्निध्य में 21 दिवसीय तप करने वाले तपस्वी एवं स्थानीय तेरापंथ किशोर मंडल के संयोजक 19 वर्षीय पीयूष श्रीमाल का तप अभिनंदन समारोह आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से किया गया। साध्वी स्नेहप्रभाजी ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। धर्म सभा को संबोधित करते हुए शासनश्री साध्वी मानकुमारीजी ने कहा - ‘जैन धर्म की संस्कृति तप और त्याग की संस्कृति है। व्यक्ति अपने पुरुषार्थ के बल पर संयम व त्याग में पराक्रम करता है। तप के द्वारा व्यक्ति अपने कर्मों का क्षय कर आत्मा को निर्मल बनाता है। तेरापंथ धर्मसंघ में अनेक तपस्वी साधु-साध्वियां हुए हैं, जिन्होंने लंबी-लंबी तपस्या कर संघ की नींव को सुदृढ़ किया है। बचपन की उम्र में आहार संयम व तप करना महत्त्वपूर्ण है। पीयूष ने 21 दिन की तपस्या कर दृढ़ मनोबल का परिचय दिया है। अभी तो इसने उम्र के 19 पड़ाव ही पार किए हैं। अपनी उम्र से भी अधिक तपस्या कर इसने बड़े साहस का काम किया है। गुरु दृष्टि प्राप्त दृढ़ शक्ति वाला व्यक्ति ही तपस्या कर सकता है। पीयूष आगे भी इसी तरह तप कर अपनी आत्मा को निर्मल बनाए, यही मंगलकामना है।’
साध्वीवृंद ने सामूहिक रूप से तपस्या के भावों से ओतः प्रोत स्वरचित गीतिका का संगान कर तप की अनुमोदना की। इस अवसर पर राजस्थान के वन एवं पर्यावरण तथा देव स्थान विभाग के पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवा ने अपने ओजस्वी भावों में अभिव्यक्ति दी एवं भिक्षु भजन मंडली के साथ मिलकर सुमधुर गीतिका का संगान कर तपस्वी का अभिनंदन किया। समारोह में साध्वी कीर्तिरेखाजी, तेयुप अध्यक्ष एवं तपस्वी भाई के पारिवारिक सदस्य मुकेश श्रीमाल, टीना कोठारी, तेरापंथी सभा अध्यक्ष बिमलसिंह दुधेड़िया, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा सविता बच्छावत, पूर्व अध्यक्षा प्रेम विनायकिया, ज्ञानशाला प्रशिक्षिका मोनिका बैद, अणुव्रत समिति अध्यक्ष भुवनेश्वर शर्मा, युवा विकास समिति अध्यक्ष मदन दाधीच, ममता कुंडलिया एवं अर्जुन विनायकिया ने तपस्वी के अनुमोदन में अपने भाव व्यक्त किये। तेरापंथ महिला मंडल तथा कन्या मंडल द्वारा गीत व वक्तव्य के माध्यम से तप अनुमोदन किया गया।
सभी संस्थाओं की ओर से तपस्वी पीयूष श्रीमाल का अभिनन्दन पत्र, मोमेंटो एवं साहित्य से सम्मान किया गया। कार्यक्रम में तेरापंथी श्रावक-श्राविकाओं के साथ-साथ जैनेतर समाज के श्रद्धालुओं की भी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संयोजन साध्वी इंदुयशाजी ने किया। तपस्वी पीयूष ने साध्वीश्रीजी से 21वें दिन के तप का प्रत्याख्यान किया।