आत्माराधना एवं धर्माराधना का महापर्व है पर्युषण : आचार्यश्री महाश्रमण
पर्युषण पर्वाराधना का प्रथम दिवस : खाद्य संयम दिवस
12 सितम्बर 2023 नंदनवन, मुम्बई
तीर्थंकर के प्रतिनिधि युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में जैन धर्म के महापर्व पर्युषण का भव्य एवं आध्यात्मिक आगाज हुआ। त्याग, संयम, तप के द्वारा अपने जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर करने वाले इस अष्टदिवसीय महापर्व का प्रथम दिवस ‘खाद्य संयम दिवस’ के रूप में आयोजित हुआ।
पर्युषण महापर्व के शुभारंभ पर मुम्बई के नन्दनवन में उपस्थित विशाल धर्म परिषद् को भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा का अमृतपान कराते हुए भगवान महावीर के प्रतिनिधि महातपस्वी युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने फरमाया कि भगवान महावीर इस जंबू द्वीप के भरत क्षेत्र के वर्तमान अवसर्पिणी काल के अंतिम और चौबीसवें तीर्थंकर हुए थे। भगवान महावीर अढ़ाई हजार वर्ष से भी अधिक वर्ष पूर्व यहां विराजमान हुए थे। भगवान महावीर केवल ज्ञान प्राप्त कर अनन्त ज्ञान और अनन्त दर्शन सम्पन्न बने।
पयुर्षण महापर्व के संदर्भ में पूज्यवर ने प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि पर्युषण पर्व का प्रारम्भ हो गया है। यह आठ दिन धर्माराधना, आत्माराधना और अध्यात्म आसेवन का विशेष समय है। साधु-साध्वियां, समणियां व श्रावक-श्राविकाएं सभी इस समय में विशेष धर्मराधना करते हैं। गृहस्थों को इस पर्वाराधना में अन्य कार्यों को यथासंभवतया गौण कर विशेष धर्माराधना में लगना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा सावद्य कार्यों से बचने का प्रयास हो। शुभ प्रवृति में रहने का प्रयास करें। आठ दिनों में श्रावक पांच अणुव्रतों की विशेष आराधना करें। छोटे-छोटे त्याग करने का प्रयास करें। ज्यादा से ज्यादा आत्मा के आस-पास रहने का प्रयास करें। आठ दिनों तक कम से कम एक सामायिक तो अवश्य करने का प्रयास हो, वाणी का संयम करें, आहार का संयम करें, धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करें। इन आठ दिनों में वर्षभर की धर्म कमाई कर धर्म का संचय करने का प्रयास हो। अच्छे निमित्तों का ज्यादा से ज्यादा लाभ लें। आत्मा की निर्मलता को संपोषित करने का यह समय होता है। छोटे बच्चे जो स्कूल जाने वाले होते हैं, वे भी जितना संभव हो, उतनी धर्म की आराधना करें। आज खाद्य संयम दिवस निर्धारित है। ज्यादा से ज्यादा खाद्य संयम की साधना हो।
प्रवचन के उपरांत पूज्यवर ने अनेक तपस्वियों को उनकी धारणा के अनुसार प्रत्याख्यान करवाये।
साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने फरमाया कि ठाणं आगम में रागोत्पति के नौ कारण बताये गये हैं उनमें तीन कारण आहार से संबंधित हैं। आचार्य भिक्षु ने भी शील की नवबाड़ में इस संदर्भ में व्याख्या की है।
मुख्य मुनिश्री महावीरकुमारजी ने वक्तव्य एवं साध्वीवर्या सम्बुद्वयशाजी ने गीत के माध्यम से खाद्य संयम का महत्व बताते हुए धर्माराधना करने की प्रेरणा प्रदान की। साध्वी सुरभिप्रभाजी आदि साध्वियों ने भी खाद्य संयम दिवस के संदर्भ में गीत का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।