दो धाराओं का आध्यात्मिक मिलन एवं श्रीमद् जयाचार्य पुण्य तिथि
कृष्णा नगर, दिल्ली
तेरापंथ धर्मसंघ के चतुर्थ आचार्य श्रीमद् जयाचार्य की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी एवं दिगम्बर परम्परा से ऐलक विज्ञानसागरजी महाराज का आध्यात्मिक मिलन हुआ। इस अवसर मुनिश्री ने फरमाया कि जयाचार्य विद्वता, गंभीरता से सम्पन्न आचार्य थे, जिन्होंने लगभग साढे तीन लाख पद्य प्रमाण साहित्य लिखकर नया इतिहास सृजन किया।
ऐलक विज्ञानसागरजी ने कहा कि श्रीमद् जयाचार्य एक प्रतिभाशाली आचार्य थे। मात्र नौ वर्ष की आयु में दीक्षा एवं मात्र अठारह वर्ष की अवस्था में पन्नावणा की जोड़ की रचना कर दी। उन्होंने कहा कि जैन एकता पर आचार्यश्री तुलसी ने जो कार्य किया, वह स्वर्णाक्षरों मे अंकित किया जाना चाहिए।
दिगंबर समाज से विजेंद्र जैन ने ऐलक विज्ञानसागरजी महाराज का संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत किया। तेरापंथी सभा, गांधीनगर अध्यक्ष कमल गांधी ने स्वागत वक्तव्य दिया। एस एस जैन सभा, कैलाश नगर के महामंत्री सुशील जैन ने अपनी भावना प्रस्तुत की। गांधीनगर सभा की ओर से ऐलक विज्ञानसागरजी का साहित्य प्रदान कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा मंत्री हेमराज राखेचा ने किया।