इक्यावन की तपस्या एवं पैंतीस की तपस्या का तप अनुमोदना कार्यक्रम
शाहदरा-दिल्ली
साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में ओसवाल भवन में 51 की तपस्या करने वाले तपस्वी हनुमानमल सेठिया एवं 35 की तपस्या करने वाले भाई विमल बैद के तप का अनुमोदना कार्यक्रम तेरापंथी सभा, शाहदरा द्वारा आयोजित हुआ। साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा- 'परमात्मा के साथ वार्तालाप करने का वायरलेस व्यवहार है-तपस्या। तपस्या पाषाण को पारस, जीवन को चंदन, लोहे को कुंदन एवं आत्मा को उज्ज्वल व निर्मल बनाती है। धन्य होते हैं वे व्यक्ति जो तप रूपी क्लीनर लेकर अपनी आत्मा एवं मन की सफाई करते हैं। तपस्वी भाई हनुमानमल एवं भाई विमल ने दीर्घ तपस्या करके अपने कर्मों की निर्जरा तो की है किन्तु जिन शासन की अतिशय प्रभावना की है।’
साध्वी कर्णिकाश्रीजी, साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने श्रद्धेया साध्वी प्रमुखाश्रीजी के संदेश का वाचन किया। साध्वीवृंद ने तप की अनुमोदना में भावपूर्ण गीत का संगान किया। जयसिंह दुगड़, मनोज नाहर, संजय भटेरा, हनुमान नाहटा के साथ तेरापंथी सभा एवं ओसवाल समाज के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने साध्वीश्री द्वारा रचित गीत का संगान किया। शिल्पा बाफना एवं प्रमिला डागा ने नाटिका प्रस्तुत की। डॉ. साध्वी सुधाप्रभाजी ने मंच का संचालन करते हुए काव्यात्मक शैली से तप का अनुमोदन किया।
महासभा के मुख्य न्यासी सुरेशचंद गोयल, सभाध्यक्ष पन्नालाल बैद, ओसवाल समाज के अध्यक्ष आनंद बुच्चा, महामंत्री राजेन्द्र सिंघी, तेयुप उपाध्यक्ष राकेश बैंगानी, पूर्वी दिल्ली तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष सरोज सिपानी, गाजियाबाद तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष ललित डागा, पूजा सेठिया, सुनिता तातेड़ ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। सेठिया परिवार की बहनों ने गीत का संगान किया तथा ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गीत के माध्यम से दोनों तपस्वियों की अनुमोदना की । शाहदरा सभा एवं तेरापंथ महिला मंडल पूर्वी दिल्ली द्वारा तपस्वियों का साहित्य, मोमेंटो आदि से सम्मान किया।