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गुरुदेव के असीम आशीर्वाद और कृपा से ही तपस्या संभव
दिल्ली
कृष्णानगर, दिल्ली में विराजित तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी के सान्निध्य में उनके सहवर्ती संत मुनि नमिकुमारजी ने पर्युषण पर्व के दौरान सामायिक दिवस पर 37 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। इस अवसर पर तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि मुनि नमिकुमारजी ने मात्र सात महिने के दिल्ली प्रवास में 25, 26, 35, 37 की तपस्या करके अपने दृढ़ मनोबल का परिचय दिया है। मुनि नमिकुमारजी की तपस्या इस बार मौनपूर्वक हुई है। केवल मेरे से बोलने का आगार रखा। यह सब गुरुदेव की कृपा से ही संभव हो पाया है। मुनिश्री ने स्वरचित गीत का संगान कर तपस्या का वर्धापन किया।
मुनि नमिकुमारजी ने अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि गुरुदेव की असीम कृपा और आशीर्वाद से ही मैं आज यह तप कर पाया हूं। मेरे अग्रगण्य उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी तपस्या हो या नहीं सदा ही मेरा पूरा ध्यान रखते हैं, इसी कारण मैं कुछ कर पाया हूं अन्यथा तो मैं किसी सेवा केन्द्र में होता। मुनिश्री की प्रेरणा और प्रोत्साहन मुझे हर तरह से सक्रिय बनाकर रखते हैं। तीनों पुत्रों और धर्मपत्नी के त्याग के कारण ही संयमपथ पर गतिमान हो सका। मुनिश्री की सेवा से जो कर्जा चढ़ा है, उसे उतार पाना कठिन है। मुनि अमनकुमारजी ने भी अपना स्वरचित गीत प्रस्तुत किया। गुरुदेव के संदेश का वाचन सुरेन्द्र डागा ने किया।