प्रज्ञा के अवतार आचार्य महाप्रज्ञ

प्रज्ञा के अवतार आचार्य महाप्रज्ञ

शासनश्री साध्वी सुमनश्री

ज्योति पुरुष आये धरती पर प्रज्ञा के अवतार।
महाप्रज्ञ चरणों में वंदन सौ-सौ बार॥आ॥

पुण्य धरा टमकोर कल्पतरु लहराया।
होनहार शिशु चोरड़िया कुल में आया।
माँ बालूजी को मानों कोई मिल गया मुक्‍ताहार॥

बचपन में माता का आशीर्वाद मिला
चोट नहीं बेटा यह आज्ञा चक्र खुला।
गुरु कालू से पाया संयम जगा भाग्य साकार॥

विद्या गुरुश्री तुलसी की सन्‍निधि पाई।
योग साधना और ज्ञान की गहराई।
ज्यों-ज्यों कदम बढ़े आगे फिर खुले प्रगति के द्वार॥

श्रुत सागर में किया रात-दिन अवगाहन।
खोजे रत्न अनेकों कर आगम मंथन।
लिखे सहों ग्रंथ भरा तुमने आगम भंडार॥

लय : बार-बार तोहे---