ज्ञानशाला दिवस का आयोजन
जसोल
शासनश्री साध्वी कमलप्रभाजी के सान्निध्य में राष्ट्रीय ज्ञानशाला दिवस का आयोजन तेरापंथी सभा, जसोल व ज्ञानशाला परिवार जसोल के तत्वावधान में बड़े उत्साह से मनाया। शासनश्री साध्वी कमलप्रभाजी ने नमस्कार महामंत्र का उच्चारण से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। साध्वी शताब्दीप्रभाजी के प्रेरणा एवं ज्ञानशाला प्रशिक्षकों की मेहनत से ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी गीत, मुक्तक, कथानक दृश्य, नाटक जैसे अनेक प्रेरणादायी बातों-बातों में आध्यात्मिक शिक्षा देने वाले कार्यक्रमों को प्रस्तुति दी गई। शासनश्री साध्वी कमलप्रभाजी ने अपने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि गणधिपति पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी की इस अनुपम देन ज्ञानशाला एक संस्कार शाला है। इस अध्यात्मिक स्कूल में बच्चों अपने देव, गुरू, धर्म के प्रति आस्थावान बनने, अपने धर्म के जड़ो से जुड़े रहने की शिक्षा दी जाती है। हमे अत्यंत खुशी होती जब हम छोटे-छोटे बच्चों से पच्चीस बोल, प्रतिक्रमण, पुरानी ढ़ालों को बिना देखे, शुद्ध उच्चारण के सुनते हैं। इस में सबसे बड़ा योगदान यह की प्रशिक्षिकाओं का है। वो अपना समय और श्रम का योगदान देती है। ज्ञानशाला के लिए ऐनीटाइम, ऐनीथींक्स, ऐनीवेयर तैयार रहने वाले सिवांची मालानी अध्यक्ष डूंगरचंद सालेचा, ज्ञानशाला संयोजक सम्पतराज चोपड़ा, सभा के अध्यक्ष उषभराज तातेड़, मुख्य प्रशिक्षक चंदा चौपड़ा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए अभिभावकों से ज्यादा से ज्यादा बच्चों को ज्ञानशाला से जोड़ने की प्रेरणा दी और प्रशिक्षिकाओं के श्रम और सहयोग की सराहना की। वरिष्ठ प्रशिक्षक पुष्पा बुरड़ ने साध्वी शताब्दीप्रभाजी, अभिनंदन सालेचा, दर्शन सालेचा, कुनिका बागमार सहित इन सभी का सहयोग की भूमिका के लिए आभार ज्ञापन किया। साथ ही विशेष सहयोग के लिए प्रशिक्षिका अभयमती डोसी व कार्यकर्ता पीयूष मोदी को तेरापंथी सभा जसोल की ओर से सम्मनित किया गया। इस कार्यक्रम मे करीब 65 ज्ञानशाला के ज्ञानाथ व 10 प्रशिक्षक तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद्, तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मण्डल, तेरापंथ किशोर मंडल के सदस्य अपनी सहभागिता निभाई। कार्यक्रम का संचालन जयश्री सालेचा ने किया।