अणुव्रत का निचोड़ है-सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

अणुव्रत का निचोड़ है-सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति : आचार्यश्री महाश्रमण

सांप्रदायिक सौहार्द दिवस के साथ अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का शुभारंभ

नंदनवन, 1 अक्टूबर, 2023
अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने सांप्रदायिक सौहार्द दिवस पर पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि आदमी के भीतर अनेक प्रकार की अच्छी या बुरी वृत्ति हो सकती है। जैसी वृत्ति है, वैसा व्यवहार हो जाता है। प्रश्न है अच्छा आदमी कैसे बनें? आदमी दुर्वृत्तियों को दूर कर सद्वृत्तियों में मजबूत हो। पुरुषार्थ एक तत्त्व है, जिससे आदमी विकास प्राप्त कर सिद्धि को प्राप्त कर सकता है। धर्म से सद्वृत्तियों को मजबूत किया जा सकता है।
दुनिया में अनेक धर्म-संप्रदाय हैं। धर्म-अध्यात्म की साधना विभिन्न संप्रदायों में एक समान हो सकती है। जैसे कुए का पानी अलग-अलग उपकरणों में रख दिया गया। जैसे घड़े वाला, कटोरे वाला या गिलास वाला पानी। आधेय एक है, आधार अलग-अलग है। अनेक रंगों वाली गाये हो सकती हैं, पर दूध का रंग सबका सफेद है। हम मूल तत्त्व को देखें तो प्रायः सभी में एक जैसा ही हमें अनुभव होगा। सच्चाई, ईमानदारी, अहिंसा आदि वृत्तियाँ सब धर्मों में समानता है। वेष, परिवेष अलग हो सकता है। एकता में अनेकता है। तो अनेकता में एकता है। जरूरत हो तो विशालता को प्राप्त कर लो।
आचार्यश्री ने आगे कहा कि परमपूज्य आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन शुरू किया। अणुव्रत की पृष्ठभूमि में संप्रदाय, धर्म, वेष में भिन्नता है, सबको मानने में अपनी-अपनी आस्था है। अणुव्रत धर्म को हर कोई स्वीकार कर सकता है। अच्छे छोटे-छोटे नियमों को स्वीकार करो। ये छोटे-छोटे नियम किसी धर्म-संप्रदाय के विरुद्ध नहीं हैं। जैन बनना अपेक्षित नहीं है, गुडमैन बनो। अच्छे मानव बन जाओगे। अणुव्रत को शुरू हुए 75वाँ वर्ष चल रहा है। वर्ष में सात दिनों का एक कार्यक्रम अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के रूप में शुरू होता है। आज सांप्रदायिक सौहार्द दिवस है। हम सबके प्रति मैत्री रखें। हम इस यात्रा में तीन बातेंµसद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति को बताने का प्रयास कर रहे हैं। अणुव्रत की बातों का सघन निचोड़ इन तीन बातों में आ गया है।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी एक चिंतक थे, समाज का कल्याण चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपने चिंतन के आधार पर एक अणुव्रत रूपी तालाब का निर्माण किया ताकि सब लोग अपनी प्यास बुझा सकें। आचार्य तुलसी का स्वप्न था कि एक ऐसे धर्म की व्याख्या करूँ जो हर व्यक्ति स्वीकार कर सके। इंसान अच्छा इंसान बन सके। अणुव्रत की आचार संहिता को किसी भी धर्म वाला व्यक्ति स्वीकार कर सकता है।
सांप्रदायिक सौहार्द दिवस के अंतर्गत समागत रामकृष्ण मिशन से स्वामी कल्याण आत्मानंदजी ने कहा कि सभी धर्म हमें ईश्वर की तरफ ले जाते हैं। बोहरा समाज से सयेदन साहब के प्रतिनिधि आमिन शेख मोहिद भाई वाजिब ने कहा कि कुरान में कहा गया है कि तुम नेकी और धर्म-परायण में सहयोग करो। सभी धर्मों में समानता सम्मान से उभरी है। हम सबमें सांप्रदायिक सौहार्द रहे। मुंबई ट्रिब्युट ऐसोसिएशन के सीईओ सतीश सोनी ने कहा कि हम आचार्यश्री के मिशन को आगे बढ़ाएँ। अणुविभा द्वारा समागत अतिथियों का सम्मान किया गया। स्थानीय अणुव्रत समिति द्वारा गीत की प्रस्तुति दी गई। अणुविभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश नाहर ने देश के विभिन्न भागों में आयोजित अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के संदर्भ में जानकारी दी।
पूज्यप्रवर की पावन सन्निधि में कल्याण मित्र शांतिलाल सुराणा सेवा अभिनंदन ग्रंथ के विमोचन समारोह का आयोजन हुआ। पूज्यप्रवर ने सुराणा परिवार को आशीर्वचन फरमाया। सेवा, संयम से संयुक्त जीवन जीने वाला अपना जीवन धन्य बना लेता है। शांतिलाल सुराणा ने निष्ठा से चारित्रात्माओं की सेवा दी है। सुराणा परिवार में अच्छे संस्कार बने रहें। गं्रथ से लोगों को प्रेरणा मिलती रहे। सुमेरचंद जैन ने ग्रंथ के संदर्भ में जानकारी दी। संगीता सुराणा ने भी अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। पौत्री कीर्ति सुराणा ने भी अपनी भावना रखी। बालाजी हाॅस्पिटल, दिल्ली के राजकुमार अग्रवाल एवं डाॅ0 राजेश कुंडलिया ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर ने आशीर्वचन फरमाया।