आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के आयोजन

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आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के आयोजन

गुलाबबाग पूर्णिया
तेरापंथी सभा, गुलाबबाग पूर्णिया के तत्त्वावधान में मुनि रमेश कुमार जी के सान्निध्य में आचार्य भिक्षु का 221वाँ चरमोत्सव कार्यक्रम तेरापंथ भवन में आयोजित हुआ। क्रांतिकारी आचार्य भिक्षु को श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए मुनि रमेश कुमार जी ने कहा कि अहिंसा आत्मा को उज्ज्वल बनाती है। सच्चाई उसका तेज बढ़ाती है। जहाँ यह दोनों नहीं होती हैं, वह कोई व्यक्तित्व नहीं होता है। एक संत के लिए सबसे पहले स्व-कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए। जहाँ स्व-कल्याण नहीं वहाँ जन-कल्याण भी नहीं होता। आचार्य भिक्षु क्रांतिकारी युग-पुरुष थे। वे धर्म क्रांति के स्वर में निर्भीक होकर बोले। उनके क्रांतिकारी विचारों को उनकी रचनाओं में पढ़ा जा सकता है। मुनि रत्न कुमार जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने अभिनिष्क्रमण के समय नहीं सोचा था कि मेरा कोई पंथ या संप्रदाय चलेगा। उनके जीवन में जितनी विघ्न-बाधाएँ आई, उनका डटकर सामना किया। उसका परिणाम है-तेरापंथ।
अभातेयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज डागा की उपस्थिति में स्थानीय तेयुप द्वारा तेरह घंटों का जप अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ। तेममं ने मंगलाचरण किया। तेरापंथ सभा के अध्यध्क्ष सुशील संचेती ने आचार्य भिक्षु के प्रति अपने ओजस्वी विचार व्यक्त किए। उपासिका सीमा डंूगरवाल ने आचार्य भिक्षु के दया-दान के सिद्धांत को सरलता से समझाया। वरिष्ठ श्रावक महावीर चैपड़ा ने अपने जीवन के संस्मरण सुनाए। मधुर गायक शिखरचंद डागा ने श्रद्धा भक्ति से ओतप्रोत गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन चेतन चैपड़ा ने किया।