आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के आयोजन

संस्थाएं

आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के आयोजन

छापर
भिक्षु साधना केंद्र में तेरापंथ धर्मसंघ के पहले गुरु आचार्य भिक्षु का 221वाँ निर्वाण दिवस मनाया गया। महिला मंडल के मंगल गीत के बाद शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु सुधारवादी व्यक्तित्व के धनी थे। दीक्षित होने से पहले गृहस्थावस्था में भी उन्होंने समाज को अनेक रूढ़ियों और अंधविश्वासों से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया था। 25 वर्ष की उम्र में वि0सं0 1808 में उन्होंने आचार्य रघुनाथ जी के पास मुनि दीक्षा स्वीकार की। आगमों का गहन अध्ययन किया। उन्हें अनुभव हुआ कि वर्तमान साध्वाचार आगमों के अनुरूप नहीं है। राजनगर के श्रावकों के उपेक्षाभाव ने भी उनके दिल को झकझोर दिया। शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने आचार्य भिक्षु की अभ्यर्थना में गीत प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में मुनि आत्मानंद जी व मुनि रमणीय कुमार जी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। श्रद्धानिष्ठ श्रावक सूरजमल नाहटा, अणुव्रत समिति के संरक्षक प्रदीप सुराणा, अध्यक्ष विनोद नाहटा, दीक्षार्थी बहन सुमन बैद, अनिता दुधोड़िया ने भाषण व गीत के द्वारा आदि गुरु के प्रति अपनी श्रद्धांजलि प्रस्तुत की।