विकास महोत्सव के विविध आयोजन

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विकास महोत्सव के विविध आयोजन

कृष्णानगर, दिल्ली
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी एवं साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में कृष्णानगर के विकास मंच में विकास महोत्सव का आयोजन हुआ। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी ने कहा कि तेरापंथ की यशस्वी आचार्य परंपरा के महायशस्वी, महाप्रभावक, महिमामंडित गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी के पट्टोत्सव को हम आज विकास महोत्सव के रूप में मना रहे हैं। पद-विसर्जन के बाद आचार्य तुलसी ने संघ में अपना पट्टोत्सव न मनाने की बात कहकर पूरे संघ को हतप्रभ कर दिया। प्रज्ञापुरुष आचार्य महाप्रज्ञ जी नवोन्मेषी विलक्षण प्रज्ञा के धनी थे।
मुनिश्री ने कहा कि आचार्य तुलसी विकास के पुरोधा पुरुष थे। उन्होंने संघ की पोथी में विकास के अनेक दुर्लभ दस्तावेज लिखे। उनका शासनकाल विकास की वर्णमाला से गुंफित एक महाशिलाभिलेख है। सर्वप्रथम इकतीस दीक्षाओं का इतिहास बनाने वाले आचार्य तुलसी थे। मुनिश्री ने कहा कि आज पहली बार साध्वी अणिमाश्री जी के साथ विकास महोत्सव का कार्यक्रम मना रहे हैं। साध्वी अणिमाश्री जी प्रबुद्ध साध्वी हैं। अच्छा काम करने वाली साध्वी हैं। अच्छा काम कर रही हैं और अच्छा काम होता रहे। मुनिप्रवर ने विकास महोत्सव के अवसर पर संचालन कर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। मुनिश्री ने स्वरचित गीत का संगान कर समां बाँधा।
साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि प्रणाम करती हूँ अलौकिक संत आचार्य तुलसी की संतता को। जिनके बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व का इंद्रधनुषी रंग आज भी धर्मसंघ के क्षितिज पर प्रतिबिंबित हो रहा है। उनके कालजयी कर्तृत्व के आलेख समय के भाल पर स्वर्णाक्षरों से चमक रहे हैं। उनके साहस व शौर्य की गाथा सदियों तक गूंजायमान होती रहेंगी। साध्वीश्री ने कहा कि मुनिश्री की विशेष कृपा से हमें यह महोत्सव साथ मनाने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। मुनिश्री उग्रविहारी बनकर एवं तपोमय साधना के द्वारा शासन में नव इतिहास रच रहे हैं। आपने अनेक कीर्तिमान बनाकर संघ की कीर्तिगाथा चिहंुदिशा में फैलाई है। आपकी श्रम गाथा अभिनंदनीय ही नहीं आचरणीय है। आपका संयम तप, त्याग अभिनंदनीय एवं अर्चनीय है। आपश्री निरामय रहते हुए संघ की अतिशय प्रभावना करें।
तपस्वी मुनि नमि कुमार जी ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे भी गुरुदेव श्री तुलसी का वरदहस्त प्राप्त हुआ। तुलसी नाम की रोशनी से जग रोशन हो। मुनि अमन कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान कर परिषद को तुलसीमय बना दिया। साध्वी कर्णिकाश्री जी ने कहा कि आचार्य तुलसी तेरापंथ की तकदीर थे। विश्व की नजीर थे। भिक्षु की तस्वीर थे। विकास पुरुष के दिव्य आशीर्वाद से हम भी संघ विकास में अपनी श्रम बूँदों का नियोजन करते रहे। डाॅ0 साध्वी सुधाप्रभा जी ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें आचार्य तुलसी जैसे सफल गुरु मिले। अणुव्रत न्यास के के0सी0 जैन, सभाध्यक्ष सुखराज सेठिया, महामंत्री प्रमोद घोड़ावत, अणुव्रत समिति ट्रस्ट, दिल्ली के बाबूलाल दुगड़, गांधीनगर सभाध्यक्ष कमल गांधी, शाहदरा सभाध्यक्ष पन्नालाल बैद, पूर्वी दिल्ली तेममं की अध्यक्ष सरोज सिपानी ने अपने उद्गार व्यक्त किए। तेयुप, दिल्ली के कार्यकर्ताओं एवं पूर्वी दिल्ली तेममं की बहनों ने गीत का संगान किया।