विकास महोत्सव के विविध आयोजन
बीदासर
समाधि केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी रचनाश्री जी के सान्निध्य में विकास महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर साध्वीश्री जी ने कहा कि विकास करना है तो अपना चिंतन उसी के अनुरूप बनाना होगा। आचार्यश्री तुलसी सपना लेते थे और उन सपनों को साकार करना भी जानते थे। आचार्यश्री तुलसी सूरज की तरह अकेले नहीं चमके। वे चाँद की तरह अनेकों तारों को साथ लेकर चमके। अनेकों का विकास करवाया, निर्माण किया। आचार्य महाप्रज्ञ जी को अज्ञ से महाप्रज्ञ बनाया। आचार्यश्री तुलसी की पारखी नजरें जान जाती किसमें क्या योग्यता है और उसे उस रूप में विकास का अवसर देते।
तेरापंथ के प्रथम तीन आचार्यों ने चलना सिखाया, चतुर्थ से अष्टम् आचार्य तक दौड़ना सिखाया और वहीं आचार्य श्री तुलसी ने संघ के प्रत्येक सदस्य को उड़ना सिखाया। शासनश्री साध्वी मदनश्री जी ने गीत के द्वारा अपने भाव व्यक्त किए। साध्वी ऋजुप्रभा जी, साध्वी जयंतयशा जी, साध्वी कौशलप्रभा जी ने अपने विचार रखे। साध्वीवृंद ने शासनश्री साध्वी यशोमती जी के द्वारा रचित गीत को सुमधुर स्वर दिया। इवा संचेती, रूपमती बैंगानी और तेयुप की ओर से नवदीप बैंगानी ने विचार रखे। कार्यक्रम का मंगलाचरण महिला मंडल ने किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी गीतार्थप्रभा जी ने किया।