समणीवृंद की तेरह दिवसीय संघ प्रभावक विदेश यात्रा

संस्थाएं

समणीवृंद की तेरह दिवसीय संघ प्रभावक विदेश यात्रा

आबुधाबी व अजमान (दुबई)।
डाॅ0 समणी ज्योतिप्रज्ञा जी व डाॅ0 समणी मानसप्रज्ञा जी की 13 दिवसीय आबुधाबी व 11 दिवसीय अजमान यात्रा अत्यधिक संघप्रभावक रही। दुबई एयरपोर्ट पर दुबई, अजमान, आबुधाबी के श्रावक-श्राविकाओं ने समणीजी का स्वागत किया। पर्युषण महापर्व से पूर्व भक्तामर का विशेष अनुष्ठान हुआ। जिसमें करीब बीस दंपतियों तथा अन्य लोगों ने भाग लिया। डाॅ0 समणी मानसप्रज्ञा जी ने कहा कि पति-पत्नी को तीन एल-स्वअमए स्पेजमदए स्ंनहीपदह का ध्यान रखना चाहिए। ताकि रिश्तों में मधुरता रहे। डाॅ0 समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने आचार्य मानतुंग के व्यक्तित्व व कर्तृत्व को उजागर करते हुए पीपीटी के माध्यम से भक्तामर के गौरव को विस्तार से बताया तथा कहा कि भक्तामर अनुष्ठान रिद्धि, सिद्धि, संपदा, स्वास्थ्य को देने वाला है। रात्रि में लोगस्स पर विशेष कार्यशाला आयोजित हुई। प्रवचन से पूर्व कम्प्यूटर क्विज का रोचक व ज्ञानवर्धक कार्यक्रम रहा। बच्चों की उपस्थिति विशेष रही। समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने कहा कि लोगस्स में 24 तीर्थंकरों की स्तुति है। लोगस्स से दर्शन विशुद्धि होती है।
आरोग्य बोहि लाभं समाहिवरमुत्तमं दिंतु-केवल एक पंक्ति ही आठों कर्म क्षय करने में समर्थ है। समणी जी ने लोगस्स की चारों दिशाओं में ओरा बनाने की तथा माला फेरने की विशेष प्रेरणा दी।
पर्युषण महापर्व का प्रथम दिन खाद्य संयम दिवस: डाॅ0 समणी मानसप्रज्ञा जी ने भगवान महावीर के जीवन-दर्शन को पूर्व भवों की यात्रा से प्रारंभ किया। भगवान महावीर जीवनी से पूर्व गीत का संगान आकर्षक रहा। डाॅ0 समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने कहा कि पर्युषण के शेष दिवसों की आराधना का आधार बनता है-खाद्य संयम। रसना पर विजय प्राप्त करना सर्वाधिक कठिन है। भोजन के नियमों का पालन करने से व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। आज के दिन काफी भाई-बहनों ने उपवास किए हैं। आपने प्रतिदिन एक-एक कर्म को प्रतनु करने के नुस्खे बताए।
स्वाध्याय दिवस: समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने कहा कि स्वाध्याय स्वयं को देखने का दर्पण है। आत्मा को साफ करने की बुहारी है और स्वाध्याय वह सागर है जो अनगिन श्रुत मोतियों से भरा है। स्वाध्याय का फल करोड़ों रुपयों के दान से भी श्रेष्ठ है। स्वाध्याय से ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय होता है। सामायिक दिवस: डाॅ0 समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने गीत का मधुर संगान करते हुए वेदनीय कर्म की व्याख्या की। आपने कहा कि आप सुख चाहते हैं तो पहले आप दूसरों को सुख दें। समणीजी ने कहा कि सामायिक समता की साधना है। विभाव से स्वभाव में आना समायिक है। जीवन में संतुलन का बने रहना सामायिक है। व्यवहार शुद्धि व आत्मरमण की साधना सामायिक है।
वाणी संयम दिवस: समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने कहा कि अष्टकर्म शंृखला में चतुर्थ स्थान मोहनीय कर्म का है। यह आठ कर्मों में राजा है। इसे जीतना सर्वाधिक कठिन है। राग-द्वेष इसके दो बड़े बाॅडीगार्ड हैं। राग-द्वेष मुक्त आत्मा वीतराग कहलाती है। जो वीतरागता की साधना करता है, उसके वाणी संयम सहज ही सध जाता है। वाणी से व्यक्ति के चरित्र की पहचान होती है। मौन भीतर प्रवेश का प्रथम द्वार है। मधुर वाणी का शंृगार व्यक्ति को निश्चय व व्यवहार दोनों से सुंदर बनाता है। व्यक्ति को कम, धीरे व मधुर बोलना चाहिए। आवेश में कभी न बोलें। मोनिका कुचेरिया, नीतिश जैन, अंकुश जैन ने सुमधुर गीत प्रस्तुत किए। तनीषा, निशा, यशा-बच्चों ने नृत्य के माध्यम से स्वप्न बताए।
अणुव्रत दिवस: समणीजी ने आयुष्य कर्म की चर्चा करते हुए कहा कि जीवन में केवल एक बार एक क्षण के लिए आगामी आयुष्य का बंधन होता है। अतः भगवान ने कहा-संयम गोयम! मा पमायए। अच्छे भावों में ही शुभ आयुष्य का बंधन संभव है। आपने आगे कहा कि त्याग से भाव शुद्धि होती है। आचार्यश्री तुलसी ने आजादी के तुरंत बाद अणुव्रत आंदोलन की शुरुआत की। यह नैतिकता का आंदोलन है, चारित्र निर्माण का आंदोलन है। जप दिवस: समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने नाम कर्म का विश्लेषण करते हुए कहा कि शुभ नाम का संबंध सरलता तथा अशुभ नाम कर्म का संबंध वक्रता से है। कथनी व करणी की समानता से सुंदरता, यश, अच्छे परिवार व समाज की प्राप्ति होती है। आपने जप दिवस में नमस्कार महामंत्र की उपयोगिता बताते हुए कहा कि नमस्कार मंत्र, चवदह पूर्वों का सार है। इससे आंतरिक शक्तियों का जागरण होता है।
समणी मानसप्रज्ञा जी ने स्मृति विकास हेतु एक रोचक गेम करवाया। पंकज सिंघवी, जिनेश सालेचा ने मनमोहक गीत प्रस्तुत किए। ध्यान दिवस: समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने कहा कि जो व्यक्ति विनम्र होता है, वह उच्च जाति, कुल में उत्पन्न होता है। श्रेष्ठ बल, तप, रूप, लाभ, ऐश्वर्य, श्रुत को प्राप्त करता है। आपने गीत का संगान किया। आपने कहा कि श्वास आपका सच्चा साथी है। वह कभी थकता नहीं है। श्वास प्रेक्षा से शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। श्वास प्रेक्षा से धरती पर स्वर्ग आ सकता है। संवत्सरी महापर्व: समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने कहा कि हमें वीर्य का गोपन नहीं करना चाहिए। अंतराय कर्म को हल्का करने के लिए तपस्या बड़ा आलंबन बनता है। जैनों के लिए आज का दिन नया वर्ष है। आध्यात्मिक आय-व्यय के हिसाब का दिन है। अतीत का मिच्छामि दुक्कड़े करने का तथा भविष्य के लिए प्रत्याख्यान करने का दिन है। क्षमा से शत्रु भी मित्र बन जाता है। क्षमा से आत्मा हल्की होती है, संबंध मधुर बनते हैं।
काफी भाई-बहनों ने उपवास तथा पौषध किए। निधि शिशोदिया व मयंक कोठारी ने अठाई, नवनीता पटावरी ने पंचोला, दीप्ति कोठारी ने चोला, जूही भंडारी ने चोले की तपस्या की। राहुल कुचेरिया व नीतेश जैन ने तेले की तपस्या की। यशपाल भंडारी, अंजु राखेचा, हेमंत पींचा, रश्मि जैन आदि ने अपने महत्त्वपूर्ण विचार रखे। सभी ने समणी जी के विचारों, प्रबुद्धता व व्यवहारकुशलता की प्रशंसा की आबुधाबी के कार्यक्रमों की संयोजना में प्रकाश महत्ता का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। अजमान बीच हाॅटेल में डाॅ0 समणी ज्योतिप्रज्ञा जी व डाॅ0 समणी मानसप्रज्ञा जी का दुबई से समागत समणी कांतिप्रज्ञा जी व समणी आर्जवप्रज्ञा जी के साथ मिलन समारोह हुआ। महिला मंडल ने गीत की प्रस्तुति दी। स्थानीय सभा अध्यख राकेश पटावरी तथा दिनेश कोठारी ने समणी जी का स्वागत किया। समणी कांतिप्रज्ञा जी ने कहा कि व्यक्ति की जैसी सोच होती है उसे वैसा ही फल प्रापत होता है। अतः हमेशा सोच सही रहनी चाहिए।
डाॅ0 समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने मधुर गीत का संगान किया। चार समणी जी का मिलन अर्थात् ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप की आराधना कर चार गति का अंत करें। कार्यक्रम के अंत में तपस्वियों का साहित्य प्रदान कर सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन समणी मानसप्रज्ञा जी ने किया। विकास महोत्सव का कार्यक्रम दुबई में चारों समणीजी के सान्निध्य में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में लगभग 175 की उपस्थिति रही। विकास महोत्सव के साथ ही समणी कांतिप्रज्ञा जी का मंगलभावना समारोह भी आयोजित था। समणीवृंद के परस्पर गुणानुवाद व प्रमोद भावना का अच्छा माहोल बना। अनेक वक्ताओं की प्रशंसा की। इस 25 दिवसीय प्रवास में समणी कांतिप्रज्ञा जी व समणी आर्जवप्रज्ञा जी ने 75 घरों का स्पर्श किया। समणी कांतिप्रभा जी ने कहा कि अवसर का लाभ उठाने वाला महान होता है, अतः धार्मिक अवसर को खोना नहीं चाहिए।
डाॅ0 समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने समणी कांतिप्रज्ञा जी के प्रति मंगलभावना व्यक्त करते हुए आचार्य तुलसी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के उर्वर मस्तिष्क की सोच है-विकास महोत्सव। आचार्य भिक्षु चरमोत्सव सामूहिक तपस्या व गीतों से मनाया गया। डाॅ0 समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु का युग संघर्ष का युग था। वे क्रांतिकारी आचार्य थे। सत्य की खोज में वे समता का संबल लेकर अंतिम सांस तक डटे रहे। उन्हीं के पुण्य प्रताप से आज तेरापंथ वटवृक्ष का रूप ले रहा है। समणी ज्योतिप्रज्ञा जी व समणी मानसप्रज्ञा जी का एक कार्यक्रम रसलखेमा मेें हुआ। दुबई की सात एमिरेट्स हैं। आज तक समणी जी दुबई, आबुधाबी, अजमान व शाहजा-इन चार एमिरेट्स में ही गए थे। किंतु आपने 5वीं एमिरेट्स रसलखेमा में कार्यक्रम कर नई शुरुआत की। कार्यक्रम में जैन, अग्रवाल, गुजराती, सनातनी-सभी लोग थे।
डाॅ0 समणी मानसप्रज्ञा जी ने कहा कि जहाँ प्रेम होता है, वहाँ प्रसन्नता व सफलता स्वयं चली आती है। डाॅ0 समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने गीत का संगान किया। समणीजी का मंगलभावना समारोह अजमान बीच हाॅटेल में रखा गया। जिसमें अक्षरा कोठारी, निधि शिशोदिया, अनु बाफना, नवनीता पटावरी, महिला मंडल, निशांत तातेड़, राकेश पटावरी आदि ने अपने विचार रखे। नन्हे-मुन्नों के कार्यक्रम आकर्षक रहे। राजेंद्र बैंगानी ने कहा कि हमारे यहाँ दोनों डाॅक्टर समणी जी प्रथम बार आए हैं। अतः हमें प्रसन्नता है। समणी मानसप्रज्ञा जी ने ध्यान के प्रयोग करवाए। दिनेश कोठारी ने कहा कि समणीजी द्वारा प्रदत्त तीन संकल्प-स्वस्थता, प्रसन्नता व शांति का जीवन जीना है। हम सभी प्रतिदिन इनका अभ्यास करेंगे।
डाॅ0 समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने कहा कि आप सभी भारतीय होते हुए भी भारत से दूर हैं। परंतु आपके धार्मिक संस्कारों को देखकर मैं प्रसन्न हूँ। इतनी व्यस्त लाइफ में भी समय निकालना बहुत अच्छी बात है। संपूर्ण कार्यक्रम की संयोजना में दिनेश कोठारी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।