ज्ञानात्मक विकास के साथ भावात्मक विकास हो : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

ज्ञानात्मक विकास के साथ भावात्मक विकास हो : आचार्यश्री महाश्रमण

अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतिम दिन और सातवाँ दिवस-जीवन-विज्ञान दिवस
पूज्यप्रवर की सन्निधि में अभातेममं का त्रि-दिवसीय 48वाँ अधिवेशन का शुभारंभ

नंदनवन, 7 अक्टूबर, 2023
गुरुदेव तुलसी के शासनकाल में मुनि नथमल जी द्वारा प्रदत्त एक अवदान है-जीवन-विज्ञान। जो जन-जन के लिए तो उपयोगी है ही पर विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास में विशेष उपयोगी है। जन-जन के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि यह पुरुष-मानव अनेक चित्तों वाला होता है। स्थूल शरीर के साथ आत्मा का नाम तत्त्व भी है। यह शरीर अशाश्वत है, तो आत्मा शाश्वत तत्त्व है। आत्मा और शरीर के योग से हमारा वर्तमान जीवन है। हमारे में बुद्धि है, शरीर है, मन है, वचन है। बुद्धि अपने आपमें अच्छी चीज है। बुद्धि को अच्छा मानता हूँ। बुद्धि का भी विकास हो। बुद्धि के साथ शुद्धि का भी विकास हो तो बुद्धि सही रास्ते पर चल सकती है।
परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी एवं आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने जीवन विज्ञान को आगे बढ़ाया जो शिक्षा तंत्र से जुड़ा है। शिक्षा भी अनिवार्य तत्त्व है। अनेक विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय मिलते हैं, जो शिक्षा प्रदान का कार्य करते हैं। शिक्षा के प्रति सरकार, अभिभावक आदि जागरूक है। शिक्षा अपने आपमें उपयोगी तत्त्व है। जीवन विज्ञान शिक्षा में पूरक बनने वाला तत्त्व है। भावात्मक विकास विद्यार्थी का होना चाहिए। सेवा करना है तो ज्ञान भी चाहिए। ज्ञानात्मक विकास के साथ भावात्मक विकास हो। गुस्सा और लोभ भी नियंत्रित हो। गुस्सा, लोभ और भय भावात्मक विकास में बाधक है, ये नरक के द्वार हैं।
विद्यार्थी में ज्ञान के विकास के साथ भावात्मक विकास हो, तो वह योग्य बन जाता है। शारीरिक विकास के साथ मानसिक और भावनात्मक विकास भी हो। बालक, पालक, शिक्षक और संचालक चारों मिलकर प्रयास करें कि विद्यार्थी में सद्-संस्कारों का विकास हो। अंकों को पाने की अभिलाषा के साथ अध्ययन के प्रति भी आकर्षण हो। साथ में सद्गुणों का भी विकास हो।
माता-पिता, शिक्षक व मित्रों के साथ बच्चे का उनके स्तर का विनय भाव-व्यवहार हो। जीवन विज्ञान यह संदेश देता है कि ज्ञान के साथ अच्छा मानसिक और भावनात्मक विकास हो। ज्ञानार्जन भी सारस्वत और श्रमसाध्य साधन है। साथ में संस्कार भी अच्छे हों। कोरा ज्ञान सब कुछ नहीं है। स्वास्थ्य भी अनुकूल रहे। पद के साथ पावर आता है। पावर से ही लोग उसकी बात मानते हैं। बच्चे अच्छे होंगे तो भविष्य अच्छा हो सकेगा।
अणुविभा के मंत्री मनोज सिंघी एवं स्थानीय अणुव्रत समिति अध्यक्ष रोशनलाल मेहता ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर ने अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के समापन की घोषणा करते हुए मुंबई में अणुव्रत के कार्य निरंतर करते रहने की प्रेरणा प्रदान करवाई।
अभातेममं की राष्ट्रीय अध्यक्षा नीलम सेठिया ने 48वें अधिवेशन कार्यक्रम में सभी का स्वागत किया। आचार्य तुलसी कर्तृत्व पुरस्कार-2023 राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा को प्रदान किया गया। सूरज बरड़िया ने रेखा शर्मा का परिचय दिया। रेखा शर्मा ने अपने विचार रखे। प्रवास व्यवस्था समिति द्वारा भी रेखा शर्मा का सम्मान किया गया। पूज्यप्रवर ने आशीर्वचन फरमाया। मूलचंद नाहर जो इस पुरस्कार के सहयोगी हैं, ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर ने तपस्या के प्रत्याख्यान करवाए।
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।