क्षमा सागर में डुबकियाँ लगाने का पर्व है पर्युषण महापर्व

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क्षमा सागर में डुबकियाँ लगाने का पर्व है पर्युषण महापर्व

नोखा।
पर्युषण महापर्व में महास्नान के प्रमुख दिन संवत्सरी महापर्व के दिन शासन गौरव साध्वी राजीमती जी ने कहा कि संवत्सरी के दिन 3 चीजें साधु अपने पास न रखें-केश, क्लेश और आहार। संवत्सरी महापर्व क्षमा के सागर में गोते लगाने का पर्व है। पर्युषण महापर्व की आराधना नोखावासियों ने बड़े उत्साह-उमंग के साथ साध्वीश्री जी की सन्निधि में की। उससे पूर्व सावण से ही तपस्या की झड़ी यहाँ लग गई। शासन गौरव की प्रेरणा से 3 मासखमण, 3 पखवाड़े, 13 की एक, 11 की तीन, 8 अठाइयाँ, 5 पचरंगी, 4 सोलिया, 10 एकांतर तप हुए।
खाद्य संयम दिवस: खाद्य संयम दिवस पर शासन गौरव साध्वीश्री जी ने तपस्या की प्रेरणा के साथ-साथ ऊनोदरी तप की महत्ता बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा तप है जो हर व्यक्ति कर सकता है और यह स्वास्थ्य हेतु भी बहुत लाभकारी है। पर्युषण क्या? क्यों? कैसे? पर भी साध्वीश्री जी ने प्रकाश डाला। साध्वी कुसुमप्रभा जी ने अशन और अनशन पर अपने विचार रखे। साध्वी पुलकितयशा जी ने गीत का संगान किया। युवती मंडल ने मंगलाचरण किया।
स्वाध्याय दिवस: मुख्य प्रवचन के दौरान श्रावक के 4 प्रकार साध्वीश्री जी ने बताए-जो पुराने त्याग निभाते हैं। पुराने छोड़ते, नए लेते हैं। पुराने भी रखते हैं, नए भी ग्रहण करते हैं। दोनों ही नहीं रखते। त्याग के साथ 3 चीजें होनी चाहिए-विवेक, त्याग लेते समय एक रस हो इसकी निष्पत्ति है-अनासक्ति। व्रत से हल्कापन आए। कर्मों का हल्कापन, मन का हल्कापन। पर्युषण में चिंतन करना भी स्वाध्याय है। साध्वी विधिप्रभा जी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। मंगलाचरण महिला मंडल ने किया।
सामायिक दिवस: तेयुप के तत्त्वावधान में अभिनव सामायिक का आयोजन किया गया। एक जैसे गणवेश में पंक्तिबद्ध श्रावक-श्राविकाओं का वह दृश्य मन को शासन गौरव साध्वीश्री जी ने दान, शील, तप, भावना का महत्त्व तथा मोक्ष मार्ग के साधन के रूप में इसकी विस्तृत व्याख्या की। मंगलाचरण महिला मंडल ने किया।
वाणी संयम दिवस: मुख्य प्रवचन में साध्वीश्री जी ने बताया कि 5 बातों में आदमी को सजग रहना चाहिए-परिवार, पैसा, प्रतिष्ठा, पत्नी और पानी। इनके प्रति सजगता कैसे बरती जाए, उसका भी विवेचन करते हुए मौन की पचरंगी की प्रेरणा साध्वीश्री जी ने दी। साध्वी पुलकितयशा जी ने नुपुर और घर के उदाहरण द्वारा मौन का महत्त्व समझाया। मंगलाचरण युवती मंडल ने किया।
अणुव्रत चेतना दिवस: अणुव्रत दिवस पर ‘अणुव्रत संकल्प पत्र’ भरने की प्रेरणा देते हुए शासन गौरव साध्वीश्री जी ने अणुव्रत की शुरुआत आचार्य तुलसी एवं अन्य साधु-साध्वियों की श्रम गाथाएँ भी आज की पीढ़ी के सामने प्रस्तुत की। साध्वी विधिप्रभा जी ने अणुव्रत गीत का संगान किया। मंगलाचरण जोरावरपुर महिला मंडल ने किया। शासन गौरव साध्वीश्री जी ने गणधरवाद की चर्चा भी की।
जप दिवस: अपने मुख्य प्रवचन में शासन गौरव साध्वी राजीमती जी ने भावों की तरतमता की व्याख्या की। पहले जो कर्म बंधन हुआ उसकी स्थिति पूरी हो गई तो वे हल्के हो जाएँगे। पानी को गर्म करते हैं तो पूरा पानी एक साथ गर्म नहीं होता पहले सबसे नीचे वाली परत फिर उसके ऊपर और ऐसे करते-करते पूरा पानी गर्म होगा। वैसे ही निमित्त जैसा मिलेगा वैसे ही कर्म हल्के हो जाएँगे। साध्वीश्री जी ने जप की साधना की बात कही। मंगलाचरण महिला मंडल द्वारा कियागया।
ध्यान दिवस: ध्यान दिवस पर साध्वीश्री जी ने ध्यान के कुछ छोटे-छोटे प्रभावी प्रयोग बताए।ध्यान में वो ताकत है जो दो मिनट भी यदि पवित्रता के साथ किया जाए तो बेले जितने कर्म कट सकते हैं। ज्ञान हो या न हो पर मोक्ष चाहिए तो ध्यान आवश्यक है। साध्वी पुलकितयशा जी ने ध्यान दिवस पर गीत का संगान किया। मंगलाचरण महिला मंडल द्वारा किया गया। इस अष्टदिवसीय महायज्ञ में सभी ने अपनी पूर्ण आहूति दी। अखंड जप का क्रम सभा भवन में चला। रात्रि में साध्वियों द्वारा इतिहास के विविध प्रसंगों की प्रस्तुति दी गई। जोरावरपुरा में भी श्रावकों ने उल्लास के साथ क्षमा के इस महान पर्व की आराधना की। संवत्सरी के दिन वहाँ लगभग 51 पौषध हुए। इन सबके साथ-साथ दो बहनों के वर्षीतप की तपस्या भी चल रही है।
पर्युषण महापर्व पर भाई-बहनों, युवकों की उपस्थिति सराहनीय रही। सभा अध्यक्ष निर्मल भूरा, मंत्री लाभचंद छाजेड़, महिला मंडल अध्यक्ष सुमन मरोठी, मंत्री प्रीति मरोठी, तेयुप के मंत्री अरिहंत सकलेचा, किशोर मंडल संयोजक अमन आंचलिया आदि कार्यक्रम व्यवस्था व संयोजन में सक्रिय रहे।