असली घर में रमण करने का महापर्व है -पर्युषण
शाहदरा, दिल्ली।
साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में ओसवाल भवन में पर्युषण महापर्व का कार्यक्रम समायोजित हुआ।
खाद्य संयम दिवस: साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि पर्युषण महापर्व आत्मा की आराधना, अर्हत की उपासना एवं समता की साधना का महापर्व है। इस महापर्व पर संयम, तप, त्याग से आत्मा को भावित करना है। संयम जीवन का परम धर्म है। हमारे शरीर की स्वस्थता संयम पर निर्भर करती है। वह संयम हैµखान-पान का संयम। खाद्य संयम हर दृष्टि से उपयोगी है।
डाॅ0 साध्वी सुधाप्रभा जी ने कहा कि चिर यौवन के लिए, शरीर की स्वस्थता के लिए, सौंदर्य को बरकरार रखने के लिए वैद्य श्रेष्ठ अश्विनी कुमार ने आंवले का प्रयोग बताया। वो आंवला है संयम का। खान-पान का संयम रखने वाला चिर युवा रह सकता है।
साध्वी कर्णिकाश्री जी ने कहा कि पर्युषण महापर्व आठ कर्मों को निर्जरण करने का उत्तम अवसर है। साध्वी समत्वयशाजी ने आगम वाणी का रसपान करवाया। साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने कार्यक्रम का संचालन किया।
मंगल संगान विश्वास नगर व भोलानाथ नगर की बहनों ने किया। रात्रिकालीन कार्यक्रम में साध्वी अणिमाश्री जी ने श्राविका तुलसी बाई के तपोमय जीवन की झांकी प्रस्तुत की। हर्षा नाहटा ने मंगल संगान किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी समत्वयशा जी ने किया।
स्वाध्याय दिवस: स्वाध्याय दिवस पर साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि दुनिया में दो प्रकार के शब्द प्रचलित हैंµपदार्थाराम व आत्माराम। जिसकी चेतना आत्मा में रमण करती है वह आत्माराम है। यह समय आत्माराम का समय है। आत्माराम की दिशा को प्रशस्त करने का सशक्त माध्यम हैµपर्युषण।
साध्वी कर्णिकाश्री जी ने विचार व्यक्त किए। साध्वी समत्वयशा जी ने आगमवाणी से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने कार्यक्रम का संचालन किया। मंगल गान रामनगर, नवीन शाहदरा, यमुना विहार, शाहदरा, दिलशाद गार्डन, भारत सिटी की बहनों ने किया। डाॅ0 साध्वी सुधाप्रभा जी ने ऐतिहासिक घटना के माध्यम से स्वभाव परिवर्तन की बात कही। तेयुप, दिल्ली के सदस्यों ने मंगल संगान किया। संचालन साध्वी कर्णिकाश्री जी ने किया।
सामायिक दिवस: सामायिक दिवस पर तेयुप द्वारा अभिनव सामायिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में अभातेयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज डागा की उपस्थिति रही।
साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि अध्यात्म का पहला पड़ाव हैµसामायिक। आवेश व आवेग पर नियंत्रण की संजीवनी हैµसामायिक। सामायिक समता की
साधना का महत्त्वपूर्ण उपक्रम है। साध्वीश्री जी ने कहा कि पंकज डागा ने अभातेयुप
में नई लकीरें खींची हैं, नया इतिहास
बनाया है।
अभातेयुप अध्यक्ष पंकज डागा ने कहा कि यह समय धर्म की उत्कृष्ट साधना का अनुपम अवसर है। आज के इस अद्भुत नजारे का देखकर मैं अभिभूत हूँ। साध्वी अणिमाश्री जी जहाँ भी जाती हैं, नई लकीरें खींचती हैं, नए कीर्तिमान बनाती हैं। दिल्ली में भी नई अलख जगाई है।
साध्वी समत्वयशा जी ने अभिनव सामायिक के प्रयोग करवाए। साध्वी सुधाप्रभा जी ने विचार रखे। साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने संचालन किया।
वाणी संयम दिवस: वाणी संयम दिवस पर साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि सुखमय, शांतिमय, आनंदमय जीवन का राजमार्ग हैµवाणी संयम। रिश्तों में पड़ी दरारों को दूर करने का माध्यम हैµवाणी संयम।
डाॅ0 साध्वी सुधाप्रभा जी ने कहा कि जीवन को बांस नहीं बांसुरी बनाएँ। बांसुरी बनाने के लिए मीठा बोलें, ऊँची भाषा बोलें, गर्वरहित बोलें एवं अनावश्यक न बोलें।
साध्वी समत्वयशा जी ने आगम गाथा के आधार पर चित्रण किया। साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने मंच संचालन किया। झिलमिल, सूरजमल विहार, रामविहार, लक्ष्मीनगर व प्रीत विहार की बहनों ने कार्यक्रम में मंगलाचरण किया।
अणुव्रत चेतना दिवस: साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि आचार्य तुलसी ने इस मानव धर्म की परिकल्पना की। उन्होंने देश की आजादी के साथ ‘असली आजादी अपनाओ’ का षोघ दिया। साध्वीश्री जी ने कहा कि जैन समाज व्यसन की गिरफ्त में आ रहा है। हमें अपनी संस्कृति का पहरेदार बनना है।
डाॅ0 साध्वी सुधाप्रभा जी ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने मंच संचालन किया। साध्वी समत्वयशा जी ने विचार व्यक्त किए। बृहविहार, चंदननगर, वैशाली, वसुंधरा, रामप्रस्था ग्रीन, निपुण वैली सोसायटी की बहनों ने गीत का संगान किया।
अणुव्रत विश्व भारती के महामंत्री भीखमचंद सुराणा ने विचार व्यक्त किए। अणुव्रत समिति ट्रस्ट, दिल्ली व अणुव्रत समिति, गाजियाबाद के सदस्यों ने अणुव्रत गीत की प्रस्तुति दी।
जप दिवस: साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि आत्म-साक्षात्कार की दिशा में आगे बढ़ाने का अमोघ साधन हैµजप। आत्म-संपदा को अभिवर्धित करने का उपाय हैµजप। अध्यात्म की शक्ति से रूबरू होने का आलंबन हैµजप। विवेक विहार, श्रेष्ठ विहार, विज्ञान लोक व विज्ञान विहार की बहनों ने सुमधुर गीत का संगान किया।
ध्यान दिवस: साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि ध्यान जिन की खोज एवं जिन की पहचान का पथ है। जिसने खुद को जान लिया और आत्मज्ञान की दिशा में ध्यानस्थ हो गए, उसने सब कुछ जान लिया, सब कुछ पा लिया। ध्यान के द्वारा भीतर को स्वच्छ को स्वच्छ बनाने का प्रयत्न करें, तभी ध्यान दिवस मनाने की सार्थकता होगी।
संवत्सरी एवं मैत्री दिवस: संवत्सरी एवं खमतखामणा का कार्यक्रम हर्षोल्लास संपन्न हुआ। लगभग चालीस भाई-बहनों ने पर्युषण के दौरान अठाई
एवं इससे ऊपर की तपस्याएँ की। तेरह मंदिरमार्गी भाई-बहनों ने भी भवन में
आकर सामुहिक अठाई का प्रत्याख्यान किया। सैकड़ों भाई-बहनों ने पौषध की आराधना की।
साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि संवत्सरी महापर्व आत्मावलोकन का महापर्व है। ऋजुता व मृदुता का महापर्व है। आत्मानंद के पथ पर अग्रसर होने का महापर्व है।
खमतखामणा के पुनीत पर्व पर साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि जीवन की मनहर बगिया को अमृतरस का सिंचन देकर कण-कण को पुलकित करने का नाम हैµखमतखामणा। खमतखामणा महापर्व से पूरी परिषद को नया संबोध मिले, मंगलकामना।
साध्वीश्री जी ने पूज्यप्रवर, साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी, मुख्य मुनि महावीर कुमार जी, साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी सहित सभी चारित्रात्माओं से खमतखामणा किया। दिल्ली में विराजित सभी चारित्रात्माओं से खमतखामणा किया। पूरी परिषद से सरल हृदय से खमतखामणा किया। संपूर्ण श्रावक-श्राविका समाज ने भी साध्वीश्री जी एवं साध्वीवृंद से खमतखामणा किया।
खमतखामणा के दिन शाहदरा सभाध्यक्ष पन्नालाल बैद, ओसवाल समाज के अध्यक्ष आनंद बुच्चा, मंत्री राजेंद्र सिंघी, दिल्ली सभा के महामंत्री प्रमोद घोड़ावत, उपाध्यक्ष बाबूलाल दुगड़, दिल्ली तेयुप अध्यक्ष विकास चोरड़िया, पूर्वी दिल्ली तेममं अध्यक्ष सरोज सिपानी, गाजियाबाद सभा सहमंत्री महेंद्र घीया, राकेश खटेड़ ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन सभाध्यक्ष पन्नालाल बैद ने किया।
पर्युषण साधना शिविर का आयोजन
शाहदरा में पहली बार साध्वी अणिमाश्री जी एवं साध्वीवृंद की प्रेरणा से पर्युषण साधना शिविर का आयोजन हुआ। शिविर में लगभग शताधिक भाई-बहनों ने भाग लिया। शिविर का संचालन राकेश खटेड़ ने किया। राकेश खटेड़ ने शिविर साधकों को विशेष प्रशिक्षण एवं ध्यान साधना के प्रयोग करवाए। साध्वी कर्णिकाश्री जी, साध्वी सुधाप्रभा जी, साध्वी समत्वयशा जी एवं साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने शिविर में विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षण दिया।
साध्वी अणिमाश्री जी की सन्निधि में मध्याह्न में शिविर साधकों ने अपने अनुभव सुनाते हुए कहा कि यह शिविर हमारे जीवन का अविस्मरणीय पल था। सात दिन का समय कैसे बीता, पता ही नहीं चला। ऐसे शिविर हर पर्युषण में लगने चाहिए।