विकास महोत्सव के विविध आयोजन

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विकास महोत्सव के विविध आयोजन

उधना
महान राष्ट्रसंत आचार्यश्री तुलसी का पट्टोत्सव समग्र देश में विकास महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मुनि उदित कुमार जी एवं साध्वी हिमश्री जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन, उधना में 30वाँ विकास महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर तेरापंथ भवन में मुनि उदित कुमार जी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी महान धर्माचार्य थे। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ को नई ऊँचाइयाँ दीं। वे तेरापंथ धर्मसंघ को विकास के नवीन शिखरों पर ले गए। वे केवल तेरापंथ धर्मसंघ के ही आचार्य नहीं थे, बल्कि समग्र मानव जाति के परम मार्गदर्शक थे। उन्होंने समग्र राष्ट्र की जनता के हित के लिए अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया। उन्होंने सांप्रदायिक सद्भावना, व्यवसाय एवं व्यवहार में प्रामाणिकता, पर्यावरण की सुरक्षा, व्यसनमुक्ति एवं सामाजिक कुरूढ़ियों का अत करने हेतु संदेश दिया।
साध्वी हिमश्री जी ने मुनिश्री के साथ क्षमायाचना करते हुए पर्वत पाटिया से विहार कर उधना पधारे। कार्यक्रम अनायास ही मुनिश्री एवं साध्वीश्री जी के सान्निध्य में आयोजित हुआ। साध्वी हिमश्री जी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी विलक्षण आचार्य थे। उन्होंने धर्मसंघ के विकास एवं मानव जाति की एकता हेतु परम पुरुषार्थ किया। वे जीवन-भर कार्यशील रहे। उनकी साहित्यिक कृतियाँ आज भी सभी के लिए पठनीय हैं। आचार्यश्री तुलसी उत्तम शिक्षाविद्, कुशल वक्ता, सिद्धहस्त गीतकार थे। आचार्यश्री महाप्रज्ञ, आचार्यश्री महाश्रमण सहित अनेक विद्वान साधु-संतों का उन्होंने निर्माण किया।
साध्वीश्री जी ने आगे कहा कि मुनि उदित कुमार जी की प्रमोद भावना उल्लेखनीय है। मुनिश्री तेरापंथ की बहुश्रुत परिषद के सदसय भी हैं। आपकी विद्वत्ता एवं क्षमता का अधिकाधिक लाभ हमें एवं समग्र संघ को मिलता रहे, यही अभ्यर्थना।
मुनि अनंत कुमार जी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी परिवर्तन के जनक थे। गुणवत्ता की दृष्टि से उन्होंने तेरापंथ को अनन्य ऊँचाइयों पर पहुँचाया। मुनि रम्य कुमार जी, मुनि ज्योतिर्मय कुमार जी एवं साध्वी चैतन्ययशा जी ने प्रासंगिक प्रस्तुति दी। अणुविभा गुजरात प्रभारी अर्जुन मेड़तवाल ने स्वरचित मुक्त द्वारा अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। तेममं द्वारा मंगलाचरण के रूप में सुमधुर गीत की प्रस्तुति हुई। अध्यक्षीय वक्तव्य एवं कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा, उधना के अध्यक्ष बसंतीलाल नाहर ने किया। शांताबेन बोथरा ने 14 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। उनके परिवारजनों द्वारा गीतिका की प्रस्तुति की गई।