अनेक समस्याओं का समाधान है अल्पोपधि : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

अनेक समस्याओं का समाधान है अल्पोपधि : आचार्यश्री महाश्रमण

नंदनवन, 13 अक्टूबर, 2023
धर्म चक्रवर्ती, धर्माचार्य आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अर्हत वाणी की अभिवर्षा करते हुए फरमाया कि भगवती सूत्र में प्रश्न किया गयाµभंते! उपधि कितनी प्रज्ञप्त है? जीव का अनेक लोगों के सहयोग से जीवन चल रहा है। अजीवों का भी सहयोग मिलता है। उपधि कर्म है, तो हम संसार की अवस्था में हैं। पुण्याई भी तो कर्म के योग से मिलती है। साता-असाता आदि अनेक प्राप्तों में कर्म का सहयोग होता है। साधना में शरीर का सहारा होता है। अनेक कार्य शरीर से होते हैं। चारित्रात्मा के लिए पात्र, रजोहरण, प्रमार्जनी आदि भी उपधि है। कपड़े आदि बाह्य उपधि है। कर्म अंतरंग व शरीर अंतरंग व बाह्य उपधि है। हमारा जीवन उपधियों से घिरा होता है।
साधु अल्प उपधि वाला रहे। अनावश्यक संग्रह से साधु बचे, नहीं तो फिर प्रतिलेखना समय पर न होने से जीव हिंसा हो सकती है। आसक्ति संबंधी दोष भी लग सकता है। उपकरण ज्यादा है तो रखने के लिए और फिर उपकरण चाहिए। अनेक समस्याओं का समाधान हैµअल्पोपधि। उपकरणों का हल्कापन रहे। प्रतिहार्य समान भी मर्यादानुसार हो। यूज एंड थ्रो की जगह यूज एंड कीप की भावना रहे। पदार्थ का उपयोग अच्छा होना चाहिए। परिवर्तन के साथ स्थायित्व भी हो। अक्षम साधु वर्षों से साथ में रह रहा है, तो उसको भी सहयोग दो। न्यारा में सिंघाड़ा है, उनमें परस्परता अच्छी रहे। परिश्रमशीलता भी रहे। घरों को संभालते रहें। जागरूकता भी ठीक है। न्यारे के भी कई दीपते सिंघाड़े हैं।
आज चतुर्दशी है। परसों नवाह्निक आध्यात्मिक अनुष्ठान भी शुरू हो रहा है। लगभग सुबह 9ः30 बजे का समय रहेगा। सायंकालीन अनुष्ठान अर्हत् वंदना के पश्चात पूर्व रात्री में रहेगा। पूज्यप्रवर ने हाजरी का वाचन कराते हुए प्रेरणाएँ प्रदान करवाई। साधुचर्या और धर्मसंघ के सिद्धांतों को समझाया। तपस्या के प्रत्याख्यान करवाए। तीन छोटी साध्वियों ने लेख पत्र का वाचन किया। पूज्यप्रवर ने दो-दो कल्याणक बख्शीश करवाए। समूह में लेख पत्र का वाचन किया गया। चतुर्मास पश्चात 28 नवंबर को लगभग प्रातः 10ः15 पर विहार करने का फरमाया।
मुनि अभिजीत कुमार जी एवं मुनि जागृतकुमार जी मुंबई के कई उपनगरों में जाकर आए हैं। दोनों मुनियों ने अपने अनुभव पूज्यप्रवर के श्रीचरणों में अर्पित किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।