आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के आयोजन
कानपुर
साध्वी संगीतश्री जी के सान्निध्य में तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु का 221वाँ चरमोत्सव मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री जी के महामंत्रोच्चार से हुआ। तेममं ने मंगलाचरण की प्रस्तुति दी। सभा अध्यक्ष धनराज सुराणा, सभा मंत्री संदीप जम्मड़, पूनमचंद सुराणा, प्रियंका भूतोड़िया, धनेश भूतोड़िया तथा तेयुप ने अपने विचार व्यक्त किए एवं गीतिका के माध्यम से आचार्य भिक्षु को श्रद्धांजलि अर्पित की।
साध्वी संगीतश्री जी ने कहा कि भाद्रव शुक्ल त्रयोदशी आचार्य भिक्षु के महाप्रयाण का दिन है। वे ऐसे विशिष्ट महापुरुष थे जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सत्य की खोज में समर्पित कर दिया। साध्वी मुदिताश्री जी ने मधुर गीतिका का संगन करते हुए आचार्य भिक्षु के जीवन के बारे में अनेक रोचक घटनाओं का वर्णन किया। साध्वी शांतिप्रभा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु की साधना का तेज सूर्य से भी ज्यादा तेजस्वी था। उनके विचार सागर से भी ज्यादा गंभीर थे। उनकी शीतलता चंद्रमा से भी जयादा शीतल थी। साध्वी कमलविभा जी ने आचार्य भिक्षु का स्मरण करते हुए कहा कि यदि हम आज के युग में आचार्य भिक्षु को देखना चाहते हैं तो हम आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ और आचार्यश्री महाश्रमण को उनके अवतार के रूप में देख सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री संदीप जम्मड़ ने किया।