आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के आयोजन

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आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के आयोजन

बीदासर
साध्वी रचनाश्री जी के सान्निध्य में भिक्षु चरमोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर साध्वीश्री जी ने कहा कि बौध साहित्य में बताया गया है कि महापुरुष चार बल के आधार पर शिखर पर पहुँचते हैं-पहला बल है प्रज्ञा का बल। आचार्य भिक्षु ने प्रज्ञा के बल के द्वारा आगम का सार निकाला। दूसरा बल है तीर्थ बल। आचार्य भिक्षु ने अपने वीर्य का सदुपयोग किया। तीसरा बल है अनवद्य बल। आचार्य भिक्षु का अनबद्य बल इतना प्रखर था, जिससे उनका आभावलय निर्मल हो गया। वे जहाँ भी गए आकर्षण का केंद्र बन गए। चैथा बल है-संग्रह का बल। आचार्य भिक्षु के पास सत्य का संग्रह था, ज्ञान का संग्रह था और निर्मल चारित्र का संग्रह। इन चार बल के कारण आचार्य भिक्षु ने अध्यात्म के ऊँचे शिखर पर आरोहण किया। साध्वीवृंद ने गीत की प्रस्तुति दी। महिला मंडल की मंत्री भावना दुगड़, चंदा देवी संचेती, कन्या मंडल की संयोजिका खुशबू दुगड़, समन देवी सेठिया, कन्या मंडल ने विचार एवं गीत की प्रस्तुति दी। महिला मंडल में कार्यक्रम का मंगलाचरण किया। कार्यक्रम का संचालन कौशलप्रभा जी ने किया।