पैंसठिया छंद का विशेष अनुष्ठान
तिरुपुर।
साध्वी डाॅ0 गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में पैंसठिया छंद का विशेष अनुष्ठान किया गया। साध्वी डाॅ0 गवेषणाश्री जी ने कहा कि भारतीय में विद्या सिद्धि हेतु 3 शब्द आते हैंµयंत्र, मंत्र, तंत्र। मंत्र विविध व्यक्तियों का खजाना है। यह बिखरी हुई शक्तियों को एकत्रित करना है। प्रत्येक अक्षर मंत्र है। इसी मंत्र साधना के अंतर्गत एक स्तोत्र हैµपैंसठिया छंद। इसमें 24 तीर्थंकरों की स्तुति की गई है। यह बहुत प्राचीन छंद है। इस स्तुति की साधना विधिवत् रविपुष्य नक्षत्र से प्रारंभ की जाती है। इस साधना से सुख, शांति, आनंद की अनुभूति होती है। साध्वी मेरुप्रभा जी ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी मयंकप्रभा जी ने पैंसठिया छंद की विधि बताते हुए इसकी महत्ता को उजागर किया। साध्वी दक्षप्रभा जी ने भावपूर्ण गीतिका प्रस्तुत की। सभाध्यक्ष अनिल आंचलिया, शारदा से समागत सभा मंत्री सुमित गेलड़ा, मुंबई से सुनीता गेलड़ा ने भावाभिव्यक्ति दी।