भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान का आयोजन

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भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान का आयोजन

कानपुर।
साध्वी संगीतश्री जी, साध्वी शांतिप्रभा जी, साध्वी कमलविभा जी तथा साध्वी मुदिताश्री जी के सान्निध्य में ‘भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान’ का आयोजन हुआ। साध्वीवृंद ने भक्तामर स्तोत्र के विषय में सविस्तार जानकारी प्रदान की। इस स्तोत्र का नाम आदिनाथ स्तोत्र भी है। यह सुप्रसिद्ध स्तोत्र है। क्रुद्ध नृपति द्वारा आचार्य मानतुंग को बलपूर्वक पकड़वाकर तालों के अंदर बंद करवा दिया था। उस समय धर्म की रक्षा और प्रभावना हेतु आचार्यश्री ने भगवान आदिनाथ की इस भक्ति-स्तुति की रचना करी थी, जिससे ताले स्वयं टूट गए थे और राजा ने क्षमा माँगकर उनके प्रति बड़ी भक्ति प्रदर्शित की थी।
भक्तामन स्तोत्र का पाठ समस्त विघ्न-बाधाओं का नाशक और सब प्रकार मंगलकारक माना जाता है। इसके प्रत्येक श्लोक को मंत्र मानकर उसकी आराधना भी की जाती है। श्वेतांबर परंपरा के अनुसार 44 श्लोक हैं तथा दिगंबर परंपरा के अनुसार 48 श्लोक हैं। संपूर्ण श्रावक समाज को सामुहिक रूप से भक्तामर स्तोत्र का अनुष्ठान सजोड़े और एकल रूप में साध्वीवृंद ने करवाया।