पर्युषण पर्व ग्रंथि विमोचन का पर्व है
ईरोड।
उपासक अर्जुन मेडतवाल एवं सहयोगी उपासक गहरीलाल बाफना के निर्देशन में तेरापंथी सभा, ईरोड के तत्त्वावधान में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व मनाया गया। पर्युषण पर्व का प्रथम दिवस खाद्य संयम दिवस, स्वाध्याय दिवस, सामायिक दिवस, वाणी संयम दिवस, अणुव्रत चेतना दिवस, जप दिवस, ध्यान दिवस, संवत्सरी महापर्व एवं नौवाँ दिवस मैत्री दिवस के रूप में सुंदर तरीके से मनाया गया। संवत्सरी के दिन अष्टप्रहरी 22, छः प्रहरी 6 एवं चतुष्प्रहरी 25 पौषध हुए।
इस अवसर उपासक अर्जुन मेडतवाल ने कहा कि पर्युषण पर्व लौकिक नहीं लोकोत्तर पर्व है। इस पर्व में मनोरंजन को स्थान नहीं, बल्कि आत्मरंजन की बात बताई जाती है। संवत्सरी महापर्व ग्रंथि विमोचन का पर्व है। इस पर्व पर हमारे भीतर जमे हुए कषाय रूपी कचरे को, भीतर में जमे हुए मैल को बाहर निकालकर परस्पर क्षमा का आदान-प्रदान किया जाता है। एक तरह यह गंगा स्नान का पर्व है। पर्युषण पर्व के सातों ही दिन भगवान महावीर के 27 भवों का वाचन किया गया। साथ ही भगवान महावीर के गृहस्थ काल, साधना काल एवं सर्वज्ञता काल का रोचक वर्णन दोनों उपासकों द्वारा किया गया।
सहयोगी उपासक गहरीलाल बाफना ने खाद्य संयम, स्वाध्याय, सामायिक साधना, वाणी संयम, अणुव्रत चेतना, जप, ध्यन आदि विषयों पर महत्त्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए। पूर्व उपासक भंवरलाल चोपड़ा ने भी समय-समय पर अपने भावों की प्रस्तुति दी। अभातेममं के निर्देशन में तेममं द्वारा ‘द पावर आॅफ सब-काॅन्सियस माइंड’ पर कार्यशाला एवं तत्त्वज्ञान कार्यशाला का आयोजन किया गया। तेयुप द्वारा अभिनव सामायिक का कार्यक्रम आयोजित किया गया। महासभा उपाध्यक्ष नरेंद्र नखत ने अपने विचार रखे। नवाह्निक कार्यक्रम के प्रारंभ में सभा अध्यक्ष सुरेंद्र भंडारी ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। सभा मंत्री दुलीचंद पारख, तेयुप अध्यक्ष महेंद्र भंसाली, महिला मंडल अध्यक्षा पिंकी भंसाली ने समय-समय पर अपने भावों की प्रस्तुति दी। वरिष्ठ श्रावक धरमचंद बोथरा एवं मंजु देवी बोथरा ने पारस्परिक खमतखामणा का कार्यक्रम संचालित किया। व्यवस्था कार्य में सभा उपाध्यक्ष दिलीप हिरण का उल्लेखनीय योगदान रहा।