आचार्य भिक्षु चरमोत्सव का आयोजन
साहूकारपेट।
साध्वी लावण्यश्री जी के सान्निध्य में आचार्य भिक्षु का 221वाँ भिक्षु चरमोत्सव दिवस त्याग, तपस्या के साथ मनाया गया। सर्वप्रथम तेममं, चेन्नई द्वारा मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। तत्पश्चात अभातेममं के निर्देशानुसार आचार्य भिक्षु चरमोत्सव पर स्तुतिपरक अभ्यर्थना हुई। साध्वी सिद्धांतश्री जी एवं साध्वी दर्शितप्रभा जी ने अपने विचार रखे। साध्वी लावण्यश्री जी ने आचार्य भिक्षु के प्रति श्रद्धा-सुमन समर्पित करते हुए कहा कि विलक्षण प्रतिभा के धनी आचार्य भिक्षु की चेतना अंतर्मुखी थी। उन्होंने शुद्ध साधना के लिए, बनी हुई लकीरों पर न चलकर आने वाली हर मुसीबत को हँसते-हँसते सहन किया। आप असंख्य अवरोधों के बावजूद सत्यपथ से विचलित नहीं हुए। अनेक घटनाओं और प्रसंगों का जिक्र करते हुए आचार्य भिक्षु को धर्म क्रांति का महान जनक बताया। सभा के मंत्री अशोक खतंग द्वारा अग्रिम कार्यक्रमों की जानकारी के बाद साध्वीश्री जी द्वारा तपस्याओं के प्रत्याख्यान एवं मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।