नवरात्रि पर अनुष्ठान कर ऊर्जावान बनें
तेरापंथ धर्मसंघ एक प्राणवान और आध्यात्मिक गतिविधियों द्वारा जन-जन को आकृष्ट कर ऊर्जावान बनाता है। इस संघ के प्रत्येक आचार्य अपने आपमें सर्वेसर्वा होते हैं। उनका मार्गदर्शन पूरे धर्मसंघ को मान्य होता है। नवरात्रि के अवसर पर आचार्यश्री तुलसी ने एक अभिनव अनुष्ठान का प्रयोग पूरे संघ को प्रदान कर एक श्लाघनीय कार्य किया है। सैकड़ों लोगों के लिए नवरात्रि अनुष्ठान हितकर, सुखकर और कल्याणकारी बना है। यह अनुष्ठान शुद्ध आध्यात्मिक निर्वद्य है, चार तीर्थ की इसमें सहभागिता रह सकती है। गुरुदेव ने चिंतन-मंथन के द्वारा जैन मंत्रों का चयन कर उसे तप के साथ नियमित समय पर करणीय बताया। लोगों ने उसका प्रयोग किया।
आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी एक योगी पुरुष थे, उनकी प्रज्ञा का अंदाज लगाना सूर्य को दीपक दिखाने वाली बात होगी। उन्होंने गुरुदेव श्री तुलसी की प्रेरणा से ऐसे मंत्रों का निर्माण किया जो हर समस्या के समाधान में अत्यंत उपयोगी साबित हुए हैं। गुरुदेव श्री तुलसी के शासनकाल में अभिनव धर्म क्रांति हुई उन्होंने हर समस्या का समाधान अहिंसा, संयम और तप के द्वारा किया। उन्हीं के शासनकाल में तेरापंथ धर्मसंघ का प्रचुर साहित्य प्रकाशित हुआ। उसमें एक आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी की पुस्तक इससे संबंधित है, जिसका नाम ‘मंत्र एक समाधान’ है। उस पुस्तक के अनेक संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। नवरात्रि का समय सामने आ रहा है प्रत्येक व्यक्ति को नवरात्रि पर नव दिन अपनी शक्ति के अनुसार तप के साथ जप का प्रयोग करना चाहिए। जिससे आधि, व्याधि, उपाधि से मुक्त होकर समाधि को प्राप्त कर सकें और इस देव दुर्लभ मनुष्य जन्म को सफल और सार्थक कर सकें।