मासखमण तप अनुमोदना के आयोजन
बोरावड़।
साध्वी प्रांजलप्रभा जी के सान्निध्य में ताराचंद कोटेचा की पुत्रवधू व प्रवीण कोटेचा की धर्मपत्नी भावना कोटेचा के मासखमण तप का अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। तेरापंथ भवन, बोरावड़ के बाहरी परिसर में आयोजित हुए कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से हुआ। तेममं ने मधुर गीत द्वारा मंगलाचरण किया। साध्वीश्री जी ने उपस्थित मासखमण आराधिका को 31 की तपस्या का प्रत्याख्यान करवाया। साध्वीश्री जी ने कहा कि तपस्या आत्मशुद्धि का साधन है। ‘तपस्तनोति तेजांसि’ अर्थात् तप से तपकर तपस्वी अपने पूर्व संचित कर्मों को क्षय कर आत्मा के तेज को बढ़ाता है। तपस्या के लिए शारीरिक बल से अधिक मनोबल, संकल्पबल और आत्मबल की जरूरत होती है। दृढ़ निश्चय और संकल्प के द्वारा व्यक्ति कमजोर काया से भी रसना पर विजय पा बड़ी तपस्या कर सकता है। मासखमण तपस्या करना अपने आपमें विशिष्ट है। बहन भावना ने साहस का परिचय दे इस दुर्लभ तप को पूर्ण किया है। इनकी तपस्या इस प्रकार चलती रहे, यही मंगलकामना।
साध्वी रुचिप्रभा जी ने तेरापंथ धर्मसंघ की नवम साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा जी द्वारा प्रदत्त मंगल संदेश का वाचन किया। तेयुप ने तप गीतिका का संगान किया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष रिखब भडार, तेयुप, बोरावड़ उपाध्यक्ष मनीष सुराणा, महिला मंडल उपाध्यक्ष प्रवीणा बोथरा, प्रधान भंवरलाल राजपुरोहित ने अपने भावों से तपसण बहन की अनुमोदना की। स्थानीय महिला मंडल और कन्या मंडल ने संयुक्त रूप से मनोरंजनात्मक नाटक द्वारा तपस्या की अनुमोदना की। मीडिया प्रभारी कैलाश जैन ने बताया कि पारिवारिकजन सुमेरमल कोटेचा, हर्षा कोटेचा, कुसुम घोड़ावत, तपसण की बहनों ने गीत और संभाषण से तप अनुमोदना के स्वर मुखरित किए। कोटेचा परिवार की बहनों ने तपस्या की अनुमोदना में सुंदर नाटिका की प्रस्तुति दी।
तपसण का अभिनंदन करते हुए तेरापंथी सभा, तेयुप, महिला मंडल और आइडियल पब्लिक स्कूल ने साहित्य द्वारा तप अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मध्यस्थप्रभा जी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में खाटू, किशनगढ़, मकराना, मेड़ता, डेगाना, डीडवाना, सूरत, दिल्ली, चेन्नई, जोधपुर, गंगावती आदि के लोगों सहित स्थानीय भाई-बहनों की सराहनीय उपस्थिति रही।