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मासखमण तप अभिनंदन के आयोजन
शाहदरा, दिल्ली
साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में ओसवाल भवन में मंजु देवी बैद के आयंबिल मासखमण तप का सभा द्वारा तपोभिनंदन कार्यक्रम आयोजित हुआ। साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि तपस्या वह मशाल है जो जीवन को सहजता, स्वस्थता, निर्मलता व पवित्रता की ज्योति से ज्योतित कर देती है। तपस्या से जब व्यक्ति का अंतर्मन अनुप्राणित होता है, तब आनंद की अनुभूति का द्वारा उद्घाटित हो जाता है। सरलता व सौम्यता से तपस्वी का चेहरा चमकने लगता है। आत्मबल, संकल्पबल, मनोबल तथा साधु-साध्वियों की प्रेरणा तथा पारिवारिकजन का सहयोगµये तीनों धाराएँ जब एक साथ मिलती हैं, तब मासखमण जैसी तपस्याएँ होती हैं।
मंजु बैद ने आयंबिल का मासखमण कर दृढ़-संकल्पशक्ति का परिचय दिया है। आयंबिल तप का जैन परंपरा में विशिष्ट स्थान रहा है। आयंबिल तप के द्वारा अनेक विघ्न-बाधाओं को दूर किया जा सकता है। बहन का यह तप आत्मिक उत्थान का हेतु बने। डाॅ0 साध्वी सुधाप्रभा जी ने साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी द्वारा प्रदत्त मंगल संदेश का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी समत्वयशा जी ने किया। साध्वीवृंद ने तप अनुमोदना गीत का संगान किया। अनुमोदना के क्रम में सभामंत्री सुरेश सेठिया, ओसवाल समाज के अध्यक्ष आनंद बुच्चा, पूर्वी दिल्ली तेममं अध्यक्ष सरोज सिपानी, ऋषभ व शिल्पी बैद, बालिका चार्वी बैद, उपासिका चंद्रकला लुणिया ने अपने विचार व्यक्त किए।