मासखमण तप अभिनंदन के आयोजन

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मासखमण तप अभिनंदन के आयोजन

साउथ कोलकाता
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में सुरुचि सुभाष नाहटा के मासखमण तप अभिनंदन का कार्यक्रम तेरापंथ भवन में आयोजित हुआ। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि आत्म शुद्धि के चार उपाय बताए हैंµसम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन, सम्यक् चारित्र, सम्यक् तप। जीव ज्ञान से पदार्थों को जानता है। दर्शन से श्रद्धा करता है, चारित्र से निग्रह करता है व तप से परिशुद्ध होता है। तप अध्यात्म साधना का उज्ज्वल पहलू है। तप आत्म मंदिर की पवित्र दीपशिखा है। तप से काया कुंदन होती है। तप से जन्म जन्मांतर के कर्म क्षय होते हैं। तप की महिमा अपरंपार है। हर व्यक्ति तप की साधना नहीं कर सकते हैं। शूरवीर व्यक्ति ही तप की आराधना कर सकते हैं।
धन्य हैं वे जो मासखमण की तपस्या करके, आत्मा का कल्याण करते हैं। जिनशासन की प्रभावना करते हैं। सुरुचि नाहटा ने मासखमण की तपस्या करके जिनशासन व परिवार का गौरव बढ़ाया। मुनि परमानंद जी, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष विनोद चोरड़िया ने विचार रखे। तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष विजय बावलिया ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया। सुशीला पुगलिया ने साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन किया। तेममं की अध्यक्षा पदमा कोचर ने शुभकामनाएँ प्रस्तुत की। सुभाष नाहटा आदि परिजनों ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। तेरापंथ सभा द्वारा तपस्वी बहन का सम्मान किया गया।