अवचेतन मन का साक्षात्कार कर बनें शक्ति संपन्न
हैदराबाद।
तेरापंथ भवन में साध्वी डाॅ0 मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में अभातेममं के द्वारा निर्देशित एवं तेममं, हैदराबाद द्वारा कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर साध्वी डाॅ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि मनुष्य इस सृष्टि की सर्वोत्तम रचना है। समृद्धि की दृष्टि से देव परिषद श्रेष्ठ है, पर उनकी भी बांछा मनुष्य बनने की हाती है। मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क के कारण माना गया है। चेतन, अवचेतन और अचेतनµये तीन मस्तिष्क होते हैं। मात्र हम चेतन मस्तिष्क के स्तर पर जी रहे हैं। एक प्रश्न है व्यक्ति अपने अवचतन मन से संपर्क कैसे कर सकता है? अवचेतन मन प्लेन धरती की तरह है। जैसा बीज बोएँगे, वैसा उत्पादन हो जाएगा। ध्यान दें अवचेतन मन को नकारात्मक सुझाव न दें। यदि परिवर्तन चाहते हैं तो सकारात्मक सुझाव दें, परिवर्तन होगा।
अच्छे विचार, सृजनशील और सौहार्दपूर्ण व्यवहार के बीज हैं। विकास के सोपान पर आरोहण करने के लिए आवश्यक हैµअपना दृष्टिकोण व्यापक हो। विचारों की संकीर्णता आगे बढ़ने में अवरोध पैदा करती है। प्रबल संकल्प के साथ संगठन को मजबूत और उपयोगी बनाए रखने के लिए विशेष सूत्रों को आलंबन बनाएँ। अध्यात्म की धारा अवचेतन में प्रवादित हो, शक्ति का जागरण होता रहे। महिला मंडल की अध्यक्षा कविता आच्छा ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। तेममं की निवर्तमान अध्यक्षा एवं वर्तमान उपासिका अंजु बैद ने चेतन-अवचेतन और अचेतन मस्तिष्क के संदर्भ में कहा कि हम विनम्र व्यवहार और सकारात्मक सोच एवं दृढ़-संकल्प के द्वारा परिवार और समाज में आनंद के साथ जीएँ। शिल्पशाला में मंच संचालन मंत्री सुशीला मोदी ने किया। साध्वी डाॅ0 मंगलप्रज्ञा जी द्वारा उपस्थित संभागियों को ध्यान का प्रयोग करवाया। आभार ज्ञापन तेममं सहमंत्री प्रेम संचेती ने किया।
इस अवसर पर राजेश सेठिया ने ग्यारह दिनों के तप का प्रत्याख्यान किया। साध्वीवृंद ने तप-अनुमोदन गीत प्रस्तुत किया। तेरापंथ सभा, महिला मंडल एवं तप से तप का सम्मान हो, इस परंपरा के निर्वहरण में सुदीप नौलखा एवं राजेंद्र छाजेड़ ने तपस्वी का सम्मान किया।