आचार्य कालूगणी निर्वाण दिवस के आयोजन
कानपुर
कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी संगीतश्री जी के महामंत्रोच्चार से हुआ। साध्वीश्री जी ने कहा कि वह बड़े प्रभावशाली और पुण्यवान आचार्य थे। उनका प्रभाव इतना तीव्र था कि विरोधीजन भी उनसे अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकते थे। उनके युग में समाज की भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति हुई। सभा अध्यक्ष धनराज सुराणा ने आचार्य कालूगणी के जीवन से संबधित अनेक रोचक घटनाओं का विवरण प्रस्तुत किया। सभा मंत्री संदीप जम्मड़ ने कहा कि तेरापंथ का क्षेत्र विस्तार और संस्कृत भाषा का विकास आचार्य कालूगणी द्वारा हुआ।
साध्वी शांतिप्रभा जी ने कहा कि आचार्य कालूगणी का सबसे बड़ा अवदान तेरापंथ धर्मसंघ में दो आचार्यµआचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ के रूप में मिला है। साध्वी कमलविभा जी ने कहा कि आचार्य कालूगणी के समय में साधुओं के वस्त्र, पात्र, रजोहरण आदि उपकरणों में कला का विकास हुआ था। तेरापंथी सभा, महिला मंडल और तेयुप के संयुक्त प्रयास से आचार्य कालूगणी का निर्वाण दिवस साध्वीवृंद की प्रेरणा से मनाया गया।