अनशन सुखकारी
स्वामी भीखणजी रो शासन महाउपगारी,
गुरुवर महाश्रमण चरणां री ज्यावां बलिहारी,
पूज्यश्री मुख स्यूं पचखायो,
साध्वी पावनप्रज्ञाजी ने अनशन सुखकारी।।
बरसावै प्रभु अनहद करुणा, वरणन करणो मुश्किल वरणां।
नव नव कीर्तिमान रचावै विभुवर कीरतधारी।।
करवायो श्रेणी आरोहण, करमां रो होवै अवरोहण।
प्रभुवर सूंपी तेरा क्रोड राशि रतनां री।।
तीजो मनरथ पूर्ण करायो, मन मधुवन अतिशय सरसायो।
भाग्यविधाता त्राता गुरु अनुकंपा अवतारी।।
मनबल आगे तनबल फीको, समता निर्झर एक सरीखो।
चढ़तां भावों में स्वीकार्यो अनशन मंगलकारी।।
जनमां री पुनवानी जागी, तन री मन री ममता त्यागी।
मुक्ति महल ने पावन जोड़ी आतम इकतारी।।
उर्वर भूमि है मालाणी, संथारे में है अगवाणी।
स्वर्णाक्षर में अंकित हुसी, अनशन इचरजकारी।।
दीपै महातपसी बरतारो, मावस में भी है उजियारो।
उजलो जीवन दर्पण लागै सबनै मनहारी।।
लय: स्वामी भीखणजी रो नाम आठूं याम----