साहस ध्वज फहरायो

साहस ध्वज फहरायो

साहस ध्वज फहरायो

पावनप्रज्ञाजी अनशन कर जीवन धन्य बणायो।
मुंबई नगरी नंदनवन में नव इतिहास रचायो।।

महातपस्वी महाश्रमण गुरुवर री पा रिझवारी।
फल्या मनोरथ दोनूं बांरा घटना विस्मयकारी।
समता सरवर में नहाकर कल्याण मार्ग अपनायो।।

है संयोग वियोग युक्त अनुभूत हुई सच्चाई।
नहीं कोई म्हारो मैं नहीं किणरी बात समझ में आई।
करणो है ऊध्र्वारोहण अब शुभ संकल्प सजायो।।

धन परिजन री ममता छोड़ी आत्मा स्यूं लय जोड़ी।
छब्बीस बरस समण श्रेणी में रह वृत्यां नै मोड़ी।
चैथी सुख शय्या में सोकर वर आदर्श दिखायो।।

परम कृपालु कृपा सिंधु संपोषण सदा दिराता।
दर्शन देकर कर उपासना करवाकर भाव चढ़ाया।
आत्मा भिन्न शरीर भिन्न ओ अनुभव हुयो सवायो।।

समयज्ञा साध्वीप्रमुखाश्री स्नेह सुधा बरसाता।
साध्वीवर्या आदि सतियाँ समुचित साझ दिराता।
बहिन भाणजी आदि श्रमणीगण साता पहुँचाता।
वीरांगणा बन विजय वरी वै अनुपम अवसर आयो।।

लय: संयममय जीवन हो---