जबरो काम कर्यो
जबरो काम कर्यो, जबरो काम कर्यो।
पावन प्रज्ञा जी जबरो काम कर्यो।।
मोह माया ने छोड़ी थे तो भीतर स्यूं लय जोड़ी।
शरीर स्यूं भी मोह नहीं जीवन धारा ने मोड़ी।।
आत्म शक्ति ने तोड़ी थे तो मन मजबूती धारी।
गुरु महाश्रमण चरणां में अनशन री है छटा निराली।।
मुंबई नंदनवन गुरु चरणां आनंद लहरां आवै।
हो बड़भागी साध्वीप्रमुखाश्री जी साज दिरावे।।
साध्वीवर्याजी और संत-सत्या समणीजी मेलो।
समणश्रेणी री शान बढ़ाई अभिनंदन अब झेलो।।
अक्षय प्रज्ञाजी और प्रणवप्रज्ञाजी साथ निभायो।
हर पल हर क्षण साथ रहकर जीवन ने सरसायो।।
वीर बणकर सहो वेदना समता रस में झूलो।
आत्मा स्यूं इकतारी होयां देसी मुगति हेलो।।
लय: पुर में पड़ह---