ले ली गुरुवर शरणन्
पावन नाम काम किया पावन, मुख-मुख अतिशय वर्णन
ले ली गुरुवर शरणन्---
जीवन नैय्या सौंपी जागृत जीवन जीया धन-धन
ले ली गुरुवर शरणन्---
साधिक छब्बीस वर्ष बिताये, समण श्रेणी परिसर में,
स्वच्छ-शांत-उपशांत, सुघड़ता छाप अनोखी संघ में,
समझदार-व्यवहार मधुरता-मृदुता शोभे आनन।
ले ली गुरुवर शरणन्---
घोर असाता कष्ट वेदना राखी दिल में समता,
बहन-भाणजी योग मिला-अंतस् में जागी क्षमता,
उदाहरण उज्ज्वलमय उत्सव जय बोले नंदनवन।
ले ली गुरुवर शरणन्---
पुष्पा से पावनप्रज्ञा सति संथारा जयकारा,
प्रणवनाद नित अक्षय निधि, (अब) मोक्षमार्ग अवधारा,
भैक्षव गण गुरु ग्यारवें गणधर-गाथा गाए जन जन।
ले ली गुरुवर शरणन्---
लय: संयममय जीवन हो---