मन इच्छित अरमान फले

मन इच्छित अरमान फले

आत्मरमण हित पावनप्रज्ञा अनशन सरिता में बहाएँ।
मोक्षश्री का वरण करण भावों की श्रेणी चढ़ते जाएँ।।

कृपा सिंधु की कृपादृष्टि से मन इच्छित अरमान फले।
रोग शोक दुविधाएँ सारी मनोबली के दूर टले।
शांत सुधामृत के सिंचन से जलन तुम्हारी कोसो जाएँ।।

भाग्यशाली पावन प्रज्ञा जी प्रभु नित दर्श दिराते हैं।
भक्तामर का पुनरार्वतन कर स्वाध्याय कराते हैं।
अग्रिम मंजिल की सामग्री बाँध गठरिया साथ दिराएँ।।

हाड़मांस की है यह पुतली इस पर मोह नहीं करना।
सगे संबंधी ज्ञाती नाती सब कुछ है झूठा सपना।
गुणस्थान में आरोहण कर लक्षित मंजिल को अपनाएँ।।

साध्वीप्रमुखा साध्वीवर्या आत्म शक्ति को जगवाते।
आत्मा भिन्न शरीर भिन्न का अजपाजप जप करवाते।
महाश्रमण बरतारा सुखमय अपने से अपने को पाएँ।।

लय: प्रभो तुम्हारे पावन---