पुष्पा जीवन धन्य बना
नंदनवन संलेखन संथारा से आत्म पावन बना।
महाव्रतों की सौरभ से पुष्पा जीवन धन्य बना।।
मुनि हेम द्विशताब्दी वर्ष समण दीक्षा परिकर हर्षाया।
पाँच अक्टूबर श्रेणी आरोहण जन मन पुलकित बना।।1।।
समय नियोजन देखा तुममें, कला विलक्षण कण-कण में।
महामंत्र जप आराधन से अंतर्मुख पुनीत बना।।2।।
स्वच्छता में रखते अभिरुचि, है कलात्मक जीवनशैली।
संगीत स्वाध्याय से परिपूर्ण अनुपम जीवन बना।।3।।
संयम, समता, सहनशीलता ऊध्र्वारोहण का है रास्ता।
समभावों से सही वेदना आत्मा गंतव्य महान बना।।4।।
अक्षय से पा प्रेरणा अक्षय से रुख तुमने जोड़ा।
प्रणव से अयाचित सहयोग पा अरमान सफल बना।।5।।
ज्योतिचरण की शरण शुभंकर मिटी सकल व्यथा।
गुरुकृपा से नंदनवन में धृतिबल अद्भुत महान बना।।6।।