त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन
तिरुपुर।
तेरापंथ सभा द्वारा साध्वी डाॅ0 गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में नमस्कार महामंत्र के साथ त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर शुरू किया गया। पहले सत्र में आसन, प्राणायाम और प्रेक्षाध्यान के प्रयोग मुख्य प्रशिक्षक विमल गुनेचा द्वारा करवाए गए। इस शिविर में 67 प्रतिभागियों ने भाग लिया। शिविर के दूसरे चरण की शुरुआत में साध्वीवृंद ने प्रेक्षा गीत का संगान किया। साध्वी डाॅ0 गवेषणाश्री जी ने कहा कि प्रेक्षाध्यान शिविर की योजना जयपुर में की गई और सरदारशहर में इसके पहले शिविर का आयोजन किया गया।
ध्यान का अर्थ स्वयं को देखने की पद्धति है। साध्वी मयंकप्रभा जी ने कहा कि हमारा जीवन एक कुरुक्षेत्र है। शारीरिक, मानसिक आदि इन सभी परस्थितियों में हम सम कैसे रह सकते हैं, उसका सबसे सुंदर माध्यम हैµप्रेक्षाध्यान। मुख्य प्रशिक्षिका विमल गुनेचा ने कहा कि संकल्प शक्ति मजबूत रहे उसके लिए हमारे जीवन में ऐसे प्रयास होने चाहिए कि जिसके माध्यम से हम संकल्पित रह सकें। प्रेक्षाध्यान से जीवन के तत्त्वों को समझने का मौका मिलता है। सभा अध्यक्ष अनिल आंचलिया ने सभी शिविरार्थियों एवं मुख्य प्रशिक्षक व सभी का स्वागत किया। संतोष सिंघवी ने प्रशिक्षक का परिचय करवाया। शिविर संयोजक शांतिलाल झाबक ने शिविर की जानकारी प्रदान की। सभा मंत्री मनोज भंसाली ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। उसके पश्चात विभिन्न सत्रों में प्रेक्षा गीत अभ्यास, कायोत्सर्ग, अनुप्रेक्षा, समताल श्वास, यौगिक क्रियाएँ, गमन योग मंगलभावना आदि करवाए गए। कार्यक्रम का संचालन सह-संयोजक जितेंद्र भंसाली ने किया।
प्रेक्षाध्यान कार्यशाला के दूसरे दिन का कार्यक्रम साध्वी डाॅ0 गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में नमस्कार महामंत्र शुरू हुआ। कार्यशाला के दूसरे दिन लगभग 65 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रेक्षा गीत का अभ्यास सभी शिविरार्थियों ने किया। साध्वी डाॅ0 गवेषणाश्री जी ने प्रेक्षाध्यान का महत्त्व बताया। साध्वी मयंकप्रभा जी ने प्रेक्षाध्यान की 5 उपसंपदा के बारे में विस्तृत जानकारी दी। साध्वीवृंद ने गीत के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी। मुख्य प्रशिक्षक विमल गुनेचा ने प्रेक्षाध्यान के 15 अंगों का विवेचन किया।