कब से चली दीपावली
कब से प्रारंभ हुई है शुभ दीपावली।
यह स्वर सुनाई देता है घर-घर गली-गली।
पर जरा सोचो? यह प्रथा कब से कैसे चली इस अवसर पर कैसे दीपक और मोमबत्तियाँ जलीं तब स्मृति में आया कि उस दिन हुआ था महावीर का निर्वाण और गौतम स्वामी को हुआ था केवलज्ञान उस अमावस्या की मध्य रात्रि में अंधकार वे अनुमान पावा के लोगों का जब गया उसे मिटाने पर ध्यान राजा हस्तिपाल ने भी किया शीघ्र आह्वान इसे अंधेरे को मिटाने घर-घर घी के दीपों का चला अभियान क्योंकि उस समय तक नहीं हुआ था बिजली का निर्माण परंतु अब तो चारों ओर बिजली का प्रकाश है, फिर दीपक जलाने का क्यों किया जा रहा प्रयास है। हिंसा के अल्पीकरण से ही असली विकास है अंतर जागृत होने से ही असली उजास है। यह मेरी अंतर हृदय की अरदास है।
स्वल्प पंक्तियों में जैनों की दीपावली का यह इतिहास है।
कमल तो अहिंसा का पुजारी महावीर महाश्रमण का दास है।।