तुलसी-प्रबोध
साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा
संक्षिप्त जीवन झाँकी
(150) ‘ॐ तुलसी जय तुलसी’ पावन मंत्र महामंगलकारी,
श्रेयससाधक भवभ्रमबाधक सुखसंपादक हितकारी,
हो सुजना! आस्था रो कवच सुघड़ भयभांजणहार हो॥
(151) भव-भव शरणो म्हांनै स्वामी अंतर्यामी आप रो,
आर दियो तो पार दिराज्यो पाप ताप संताप रो,
हो गुरुवर! दुर्लभ दुनियां में आप जिसा दातार हो।
हो गुरुवर! ‘तुलसी’ ‘तुलसी’ नित बोलै सांस-सितार हो॥