पाई प्रभु री कीरपा भारी

पाई प्रभु री कीरपा भारी

पाई प्रभु री कीरपा भारी

साध्वी पावनप्रज्ञा जी रो पावन अनशन ओ मनहारी।
सौभागी हा बड़भागी हा, पाई प्रभु री कीरपा भारी।।
साध्वी पावन----

आ सहज सरल जीवनशैली, ऋजुता री स्पष्ट निशानी है।
दिन-दिन पुण्याई बढ़ी चढ़ी, गुरु दृष्टि वर कल्याणी है।
वाह-वाह जीती अंतिम बाजी, ओ विरुद बण्यो विस्मयकारी।।
साध्वी पावन----

चढ़तों परिणामां स्यूं ओढ़ी संयम चादर गुरुवर कर स्यूं।
ज्यूं की त्यूं धर दीनी उजली, उजली राखी निज दृढ़ प्रणस्यूं।
जसवल री, माटी नाज करै, बणग्यो अणशन ओ जयकारी।।

उपकारी ओ भैक्षवशासन, उपकारां ने चेते कीज्यो।
सक्षम समर्थ गुरु महाश्रमण री सेवा कर लावो लीज्यो।
ऊपर जाकर मत विसराज्यो, पाई जो गुरु री रीझवारी।।

साध्वीप्रमुखा साध्वीवर्या रो साज शुभंकर सुखकारी।
हां मुख्य मुनि री प्रबल प्रेरणा स्यूं खिलगी संयम क्यारी।।

लय: तुलसी तुलसी---