थे शुभ कदम बढ़ायो
अलबेलो दृश्य दिखायो मनभायो ईण नंदनवन में।
मनभायो ईण नंदनवन में, चमके श्री भिक्षु गणवन में।।
अणसनरी पुरी करदी आस, थे आतम रे बलस्युं।
तन री व्याधि ने देदुं मात, आ ठाणी थे मन में।।
प्रभु पर चरणा में अर्पित कर, जीवन रा हर एक पल नें।
पावो किरपां रा मीठा फल, गुरुवर री चरण शरण में।।
भावां री श्रेणी चढ़ती देख, थे शुभ कदम बढ़ायो।
रहग्या अचभिंत देखण घर, तव दीक्षा रा क्षण नें।।
आलोयण ले श्री गुरुमुख स्यूं, अंतस री करी सफाई।
कृतज्ञता स्यूं जुड़ता हाथ, भक्ति अनुरक्ति स्पंदन में।।
समता स्यूं जीतनी है बाजी, दृढ़मन लक्ष्य वणायो।
आत्मा भिन्न शरीर भिन्न है, पावां पावन उदाहरण में।।
घन-घन घन-घन महिमा, पावनप्रज्ञाजी री गावां।
भावां शुभभावना अनुमोदना, म्हारे कण-कण में।।
लय: असली सुख पासी----