साध्वी पावनप्रज्ञा जी ने अनशन कर करी कमाई
साध्वी पावनप्रज्ञाजी ने अनशन कर करी कमाई।
स्वर्णिम बेला आई।
हद हिम्मत दिखलाई।।
गुरु मुख से पचखा संथारा जागी तव पुण्याई।
साध्वीप्रमुखा साध्वीवर्या देवै आज बधाई।
प्रबल मनोबल संथारा कर गण सौरभ महकाई।।
जसवल और टापरा की नव कीरत खूब फैलाई।
महानिर्जरा करके तुमने आत्मा को चमकाई।
असह्य बीमारी में भी तुमने समता खूब दिखाई।।
अरहंते सिद्धे साहू से अंतर प्रीत लगाई।
नव इतिहास रचा तुमने समणी गण शान बढ़ाई।
आत्मा भिन्न शरीर भिन्न की समझी है गहराई।।
लय: संयममय----