दीक्षार्थी धनराज बैद के मंगलभावना
गंगाशहर
मुमुक्षु धनराज बैद के गंगाशहर पधारने पर तेरापंथी सभा द्वारा उनके आगामी संयम जीवन की मंगलकामना हेतु अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। 77 वर्षीय धनराज बैद, राजलदेसर निवासी और दिल्ली प्रवासी हैं। आपका जीवन साधनामय है तथा भरापूरा परिवार त्यागकर वैराग्य पथ स्वीकार कर रहे हैं। अभिनंदन समारोह में शासनश्री साध्वी शशिरेखा जी ने कहा कि भगवान महावीर ने कहा कि आत्मा शाश्वत है। धनराज शाश्वत की प्राप्ति के लिए अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर हो रहे हैं। जब व्यक्ति का लक्ष्य अटल हो तो गुरु कृपा भी प्राप्त हो जाती है। धनराज बैद प्रतिमाधारी श्रावक हैं। इस उम्र में संयमरत्न प्राप्त करने में पारिवारिक जनों में उनकी धर्मपत्नी, पुत्र, पुत्र वधू, पोते-पोती सभी का योगदान है।
साध्वी ललितकला जी ने कहा कि साधुत्व स्वीकार करना बहुत दुर्लभ बात है। आत्मा का सार निकालने के लिए साधुत्व ग्रहण कर रहे हैं। आपका जीवन त्यागमय है। सभी सुख-सुविधा त्यागकर संयम पथ स्वीकार कर रहे हैं। मुमुक्षु बैद ने अपने वक्तव्य में कहा कि बचपन के संस्कार आगे बहुत काम आते हैं। मुझे बचपन से ही धर्मसंघ के संस्कार प्राप्त हुए हैं। अनेक साधु-संतों की प्रेरणा प्राप्त हुई।
तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी, तेममं अध्यक्षा संजू लालानी व तेयुप के उपाध्यक्ष ललित राखेचा ने उनके संयम जीवन के प्रति मंगलकामना व्यक्त करते हुए अपने उद्गार व्यक्त किए। सभा अध्यक्ष अमरचंद सोनी, सहमंत्री पवन छाजेड़, महिला मंडल अध्यक्षा संजू लालानी, तेयुप उपाध्यक्ष ललित राखेचा, मंत्री भरत गोलछा, वरिष्ठ श्रावक जीवराज सामसुखा ने धनराज बैद को जैन पताका व साहित्य से सम्मानित किया।