अनशन की ज्योति से जीवन ज्योतिर्मय हुआ

अनशन की ज्योति से जीवन ज्योतिर्मय हुआ

अनशन की ज्योति से जीवन ज्योतिर्मय हुआ।
नश्वर तन है नश्वर धन है नश्वरता का बोध हुआ।।

पति वियोग की दुःखमय घड़ियों में वैराग्य का अंकुर प्रस्फुटित हुआ।
मिली प्रेरणा भगिनी अक्षयप्रज्ञा से मोहमाया का बंधन तोड़ दिया।।

सुख वैभव में पली-पुसी, भौतिक सुख-सुविधाओं से मन को मोड़ दिया।
संयम के पथ पर हर्षित मन का कदम, बढ़ा दिया।।

हेम शताब्दी पर गुरुवर महाप्रज्ञ से समणी दीक्षा का वरदान मिला।
दिल का कण - कण पुलकित प्रमुदित हुआ।।

गुरुवर ने पावनप्रज्ञा नाम दिया समणी बल जीवन का उत्थान किया।
व्यवहार कुशलता, मधुरभाषिता से समणीगण का दिल जीत लिया।
ध्यान जाप स्वाध्याय से साधना का मार्ग प्रशस्त हुआ।।2।।

असाध्य बीमारी में भी सहनशीलता का परिचय दिया।
गुरुवर की अनहद कृपादृष्टि से तप में संयम स्वीकार किया।
प्रभुवर के मुख से अनशन पा सौभाग्य सूर्य का जीवन में उदय हुआ।।3।।

दुष्कर दुष्कर अति दुष्कर अनशन कर जीवन को चमका दिया।
गुरुचरणों में किया समर्पित तन मन अनशन की सौरभ से जीवन को महका दिया।
गुरु कृपा से मन वांछित मनोरथ फलित हुआ आत्मा का कारज सिद्ध हुआ।।